एक गुलामी से आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके है । यह एक तरह से जमीन व हक के लिए लड़ाई थी। जो हमारे पूर्वज व देश के क्रान्तिकारियों ने लड़ी । अंग्रेजो के जुल्म से राहत मिली । लोग अपना खेती व्यवसाय करने में जुटे स्वंतत्र हुए। लोगो को एक तरह से हक मिला। धीरे-धीरे समय अनुसार देश को चलाने कानून बना उसमें संसोधन होना शुरू भी हुआ । स्वतंत्रता कैसे चलती है ? आप लोग सोचते होंगे स्वंतत्र हो गए तो अब कैसे चलने का प्रश्न ही नहीं उठता वो तो चलेगा ही । नही ;स्वतंत्रता भी अनुशासन से चलती है । जी हाँ कहने का मतलब स्वतंत्रता में भी एक तरह का अनुशासन होती है । अगर ये खो जाए तो दिशाहीन होती है । अगर बच्चा को माँ बाप का डर है तो वह स्वंतत्र नहीं है अगर डर नहीं है तो वह स्वंतत्र है पर वही स्वंतत्र बच्चा अनैतिक कार्यो जैसे तम्बाकू सेवन,झूठ बोलना अनावश्यक घूमना अत्यधिक मोबाइल देखना में लग जाए तो वो स्वतंत्रता नही है उसने उसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। इस तरह से स्वतंत्रता लुप्त हो रही है । आप चौकोगे सभी लोग तो स्वंतत्र है तो अब उसमे कमी कैसी अब फिर तो गुलाम तो नही हो रहे हैं ।जी नही उस तरह की गुलामी तो अब उतना नही है अब मनुष्य इतना स्वंतत्र हो गया है कि वो किसी अपनी नेगेटीव आदत के कारण अपनी स्वतंत्रता बरबाद कर रहा है । लोग बेहोशी के कारण ना जाने क्या-क्या चीजों आकांक्षाओं में उलझा हुआ है ।व्यक्ति उग्र होकर उग्रवादी हो गया है । बच्चे में उपजती अवगुण जैसे सार्वजनिक वस्तुओं का तोड़ फोड़। अनावश्यक खर्च करना। माँ बाप से अलगाव आदि में स्वतंत्रता लुप्त हो रही है । परिवार जो बांधे रखता था बूढ़े माँ-बाप को छोड़कर उसके बच्चे अलग रहने लगते हैं ।परिवार की स्वतंत्रता से बाहर हो गए नुकसान पालन पोषण करने वाले को हुआ।
अब एक वर्ग तैयार हो जाता है जो दंगेफसाद करता है।चाहे समाज को कितना नुकसान हुआ हो । सभी तरह के लोगो क्षेत्रों में ये दिखाई देने लगा है ।उस पृष्ठभूमि को लोग भूल गये जिससे उसका उद्गम हुआ था ।स्वछंदतावाद को अपना लिये जो अपने बहकावे में आकर अपनी मनमानी करता है ।