महिलाओं पर हो रहे अत्याचार इस बात का सबूत है कि आज भी पुरुष प्रधान समाज है और महिलाओं को अपने से नीची नजर से देखा जाता है। प्राचीन काल से से ही औरत को घर की चार दिवारी पर ही सिमित रखा गया है। उस पर बाहर निकलने के लिए कई बंदिशे लगा ली जाती थी। घर के काम काजो व परिवार का पालन पोषण करना यही तक ही उसे सिमित कर दिया जाता था। यदि कोई घर की दीवाल लाँघता तो उसे समाज द्वारा सजा दी जाती या समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता था। धीरे-धीरे समय बदलता गया लोगो के विचार बदलते गए महिलाएं अब घर के बाहर काम पर जाने लगे गावों में संगठन होने लगे। लेकिन तब भी उसके मन में पुरूष व समाज के प्रति डर समाया हुआ था।समय बीतता गया महिलाएं पुरूषो से अधिक संख्या में सफल होने लगे चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या परिवार चलाने या समाज के विभिन्न पदो में सभी वह धैर्य पूर्वक अपना काम कर सकते है।मुश्किल से दहेज प्रथा कम हुआ शिक्षित लोगो में यह चलन एक आम बात थी।अब भी कही कही दहेज प्रथा के केस दर्ज या समाचार पत्रों में पढ़ने को मिल जाता है।
आज महिलाएं कन्धे से कन्धा मिलाकर पुरुषो के बराबर काम कर रही है लेकिन पुरुष के मन में कही न कही वासना दबी पड़ी है जो हर तरीके से उसका शोषण करते है।पुरुष के अंहकार को चोट पहुचती जन्मो जन्मो से स्त्री को जो दबाया है। पुरुष सह नही पाता जब स्त्री उससे आगे बढ़ती दिखाई देती है उसके मन में चोट पहुँचती है पुराना मन जो है।भले ही बाहर से वह स्त्री को सुरक्षा प्रदान करते दिखाई देते है पर आन्तरिक रूप से वह कचौटता सा रह जाता है।
आज महिलाओं को संविधान ने आरक्षण दे दिए है वह हर क्षेत्रों में भाग ले सकता है और उसने वह कर दिखाया है। कई महिलाएं पुरुषो जैसा दिखने के लिए उसका अनुसरण करते हैं जो गलत बात है स्त्री का व्यक्तित्व अलग है पुरुष का अलग।स्त्री पुरुष नही है।प्रकृति ने उसे अलग बनाया है वह कमनीय है पर कमजोर नही। वह पुरूषो जैसा व्यवहार करे तो गलत है।
आज महानगर दिल्ली जो भारत की राजधानी है। महिलाओं पर अपराध बढ़ गया है अब महिलाएं ये सोचने लगी है कि वह दिल्ली में सुरक्षित नहीं है।राष्ट्रीय अपराध ब्युरो के आंकड़ों के अनुसार 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध 41 प्रतिशत तक बढ़े है।जबकि बच्चो के अपराध 32 प्रतिशत तक बढ़े है। योन शोषण के मामले दिल्ली में बढ़ रहे हैं।माताये अपने को असुरक्षित महसूस कर रही है।दिल्ली महिला आयोग अलर्ट है पर सभी सरकारो को इस दिशा में आगे आना होगा।बेटी पढाओ बेटी बचाओ का नारा तो सारे देश में गूँज रहा है लेकिन महिलाओं पर हिंसक घटनाएँ व रेप बढ़ रहे है।ऐसे में दिल्ली का नाम बदनाम है जो सर्व शिक्षित समाज व देश की राजधानी है। सन 2020 की अपेक्षा 2021 में 13892 अपराध दर्ज किए गए है जो चार हजार ज्यादा है।
दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। कैसे अपराधी को पकड़े व अपराध होने से पहले उसे रोक सके।दिल्ली के प्रत्येक नागरिक को सोचना विचरना होगा कही अगला निशाना उनके ही परिवार का कोई महिला तो नही।