कहते है जहां चाह होती है ,रास्ता खुद बा खुद बन ही जाता है । ऐसा ही कुछ इस कहानी में है इस कहानी में काल्पनिक है पर सच्ची घटना से इंस्पायर है
हॉस्पिटल के बेड पर साक्षी चिलाते हुए ... डॉक्टर प्लीज मुझे कोई ऐसी ड्रग्स का इंजेक्शन दे दो जिससे मुझे कभी होश ना आए या फिर मै जिंदगी भर सोती रहूं । जीने की चाहत ही नही बची मुझ में तो क्या फायदा ऐसी जिंदगी का।
दूसरे कमरे के बेड पर लेट अमृत ने काफी देर से साक्षी की आवाजे सुन कर परेशान हो रहा था , गुस्से से अपनी हाथ में लगी स्ट्रिप को उतार कर साक्षी के कमरे की ओर बढ़ते हुए ! खुद से ही ... पता नही किस इतनी जल्दी है मरने की इतना चिला रही है उनसे ... मरना ही है तो जहर खा कर मर जाए यहां हॉस्पिटल में क्यों नौटंकी लगाई हुई है । खुद तो मरना चाहती ही है अपने साथ में दूसरे मरीजों को भी शोर करके मारना चाहती है ।
अमृत ने साक्षी के कमरे कदम रखा ही था की सामने बैड पर पड़ी लड़की को देख कर कुछ पल के लिए आंखे खुली की खुली रह गई ।
सामने बैड पर सफेद गौरी चिटी लड़की बिलौरी आंखे , हल्के भूरे बाल चहरा सफेद से पीला हो चुका था देख कर ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उसके जिस्म से खून की बूंद बूंद निचोड़ ली हो ।
सांसे काफी ज्यादा चिलाने के कारण रुक रुक कर चल रही थी , आधे शरीर पर सफेद चादर से ढका हुआ था ।परेशान हो चुकी नर्स ने खुद से हार मान कर एक इंजेक्शन साक्षी को लगाया जिससे कुछ ही पलों में साक्षी की चीखे थम गई और पीछे मुड़ कर दरवाजे की ओर बढ़ते हुए नर्स बाहर जाने लगी तो अमृत ने नर्स को रौकते हुए – सुनिए !
नर्स गुस्से से अमृत को देखते हुए .. सर आप था क्यों आए ,ये प्राइवेट हॉस्पिटल है यहां के अपने कायदे है जिन्हे हम सब को फॉलो करना पड़ता है ।
आप अपने कमरे में जाए ।
अमृत ने अपना कदम साक्षी के कमरे के बाहर रखते हुए .. इस लड़की को क्या हुआ ।
नर्स ने गुस्से से घूरते हुए – सर आप एक पेसेंट है तो आप अपने इलाज को देखिए ।
अमृत ने थोड़ी नरमी से नर्स से रिक्वेस्ट करते हुए कहा– नर्स प्लीज बताइए ना ।
नर्स कमरे के बाहर लगे बेंच पर बैठते हुए ... सर आप अपने कमरे में जाइए मैं वही आपको साक्षी के बारे में बताऊंगी क्योंकि यहां ऑन द ड्यूटी मैं आप से बात नहीं कर सकती ।
अमृत बिना किसी सवाल के अपने वार्ड में में जा कर लेट गया ...आंखों के सामने बार बार बर्फ सा सफेद चहेरा घूमने लगा जिसे अभी थोड़ी देर पहले शांत होता देख कर आया था ।
आंख बंद की तो बिलौरी आंखे आंखो के सामने घूमने लगी जिनमे ओस के बूंदों की तरह आंसू टपक रहे थे ।
तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी अमृत ने अपना चहेरा दूसरी दिशा में घुमाते हुए देखा तो सामने !
नर्स के खड़ी थी जिसके गले में पड़े आईडी कार्ड से उसका नाम पता चल रहा था ।
अमृत अपने स्टेचर पर बैठते हुए ... आप आ गई अब बताइए सिस्टर क्या हुआ है उसे –
नर्स ने थोड़ा भावुक होते हुए सर ... ये लड़की साक्षी जैन है ,कुछ दिनों पहले ही इनका भयंकर रोड ऐक्सिडेंट हुआ है जिसमें इनके पूरे परिवार की जान चली गई सिवाए इनके और दो साल के बेटे बचे के !
अमृत ने बिना किस भाव के – ओह तो ये हुआ है इनके साथ ।
सामने बैठी नर्स ने आगे बात को बढ़ते हुए .. अपनी आंखो की नमी को साफ करते हुए– सर इस लड़की में जीने की चाह ही नही बची इसी लिए हमे हर रोज इनको ड्रग्स दे कर शांत करना पड़ता है क्योंकि मेडिसिन ने तो अब इनके शरीर पर काम करना बंद कर दिया है ।
अमृत आगे कुछ कहता उससे पहले ही नर्स ने अपनी बात बढ़ते हुए – सर आप जानते है ये लड़की स्पोर्ट्स में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी है लेकिन अब देखिए इसकी किस्मत ने क्या खेल खेला है इनके साथ ।इनसे जीने की चाह ही छीन ली ।
देखिए ना सर एक पूरा परिवार हादसे का शिकार हो खत्म हो गया ऊपर से इनके ये अफीज हो गई इनके दोनो पैरों ने काम करना बंद कर दिया है । तो जीने की चाह भी कान्हा रहेगी लेकिन हम भी इनको जायदा दिनो तक ये डोस नही पाएंगे क्योंकि ये डोस इनके शरीर के साथ साथ दिमाग पर भी बुरा असर डालता है ।