एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड और यंग इंडियन की तकरीबन 752 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जब्त करने के बाद यही लगने लगा है कि दाल में कुछ तो काला है या पूरी-की-पूरी दाल ही काली है। यही कारण है कि इसी मामले में कांग्रेसी नेत्री सोनिया गांधी और वायनाड के सांसद राहुल गांधी पूर्व से सुप्रीमकोर्ट से जमानत पर चल रहे हैं।
तभी तो दिल्ली की एक अदालत ने माना था कि कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड, नवजीवन व कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशन करनेवाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को कूट रचना से, जिसे चार सौ बीसी भी कहा जा सकता है, हथिया लिया है।
दरअसल, आजादी के पूर्व तत्कालीन कांग्रेस के बड़े नेताओें सहित तकरीबन 5000 हजार आजादी के सिपाहियों ने इंग्लिश में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन व उर्दू में कौमी आवाज नामक अखबारों का प्रकाशन आरंभ किया था, जो एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कंपनी की देखरेख में छपता था।
आशय यह भी कि इन अखबारों का मालिकाना हक किसी एक नेता का न होकर उन सभी शेयरधारकों का था, जो इसके आरंभिक शेयरधारक थे।
दुर्भाग्यवश साल 2008 में एजेएल घाटे में चली गई, जिससे इनका प्रकाशन बंद हो गया। इसके उपरांत 2010 में तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं ने मिलकर यंग इंडिया लिमिटेड नामक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी व राहुल गांधी की हिस्सेदारी 38-38 प्रतिशत थी। बाकी हिस्सेदारी उन नेताओं की थी, जो गांधी परिवार के बेहद करीबी व चापलूस प्रवृत्ति के थे।
चूंकि कांग्रेस यानी गांधी परिवार कहलाता है, इसीलिए कांग्रेस ने एजेएल को उबारने के लिए 90 करोड़ रुपया कर्ज दिया, पर इससे भी एजेएल की माली हालत नहीं सुधरी। तब यंग इंडिया कंपनी लिमिटेड ने महज 50 लाख रुपये देकर एजेएल को अधिग्रहण कर लिया और एजेएल के करोड़ों रुपये के चल-अचल संपत्ति का स्वामी यंग इंडिया बन बैठा। ये संपत्तियां दिल्ली, मुंबई, लखनऊ इत्यादि महानगरों में हैं। यही नहीं, इस संपत्ति का व्यावसायिक उपयोग कर बरसों तक बेजा कमाई किया जाने लगा।
यूं तो कोई राजनीतिक पार्टी किसी कंपनी को खरीद नहीं सकती। ऐसा करना आयकर अधिनियम का उल्लंधन है, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करके आयकर अधिनियम का भी उल्लंधन कर डाला है और एक कंपनी से लेनदेन कर लिया है।
वर्तमान में कांग्रेस पार्टी अपने नामीगिरामी वकीलों के माध्यम से ईडी की कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है और साथ ही इसे बीजेपी की चाल करार दे रही है, जबकि मामला जहां आयकर अधिनियम के उल्लंधन का है, वहीं कूटरचित अवैध कमाई सहित मनी लांड्रिंग का है।
मामला पूरी तरह कानूनी है, लेकिन कांग्रेस इसका राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इस पर राजनीति का खेल खेलती रहती है। जबकि भारत की आधुनिक जनता जागरूक हो चुकी है और कांग्रेस के सियासी दांव-पेंचों को समझने लगी है। कई वजहों में एक वजह यह भी है कि हालिया संपन्न पांच राज्यों के चुनाव में कांगेस को तेलंगाना छोड़कर बाकी राज्यों में करारी शिकस्त मिली है।
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