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धनंजय-विजय व्यायोग

भारतेन्दु हरिश्चंद्र

1 अध्याय
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2 पाठक
7 मई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

यह संस्कृत में 'कृष्णमिश्र' द्वारा रचित 'प्रबोधचन्द्रोदय' नाटक के तीसरे अंक का अनुवाद है। (4) धनंजय विजय – 1873 ई. - यह संस्कृत के 'कांचन' कवि द्वारा रचित 'धनंजय विजय' नाटक का हिन्दी अनुवाद है।  

dhananjay vijay vyayog

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