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श्री चन्द्रावली नाटिका

भारतेन्दु हरिश्चंद्र

5 अध्याय
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6 पाठक
20 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

जहाँ तक इस नाटक का प्रश्न है तो चन्द्रावली एक स्त्री पात्र प्रधान नाटिका है जिसका मूल स्वर प्रेम और भक्ति है | इसमें सूर, मीरा, रसखान जैसे कवियों के भक्तिकाव्य का आनंद मिलता है। 'चन्द्रावली' को रासलीला के लोकनाट्य रूप में लिखा गया है । 

shri chandravali natika

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पुस्तक के भाग

1

समर्पण

27 जनवरी 2022
1
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प्यारे! लो तुम्हारी चंद्रावली तुम्हें समर्पित है। अंगीकार तो किया ही है इस पुस्तक को भी उन्हीं की कानि से अंगीकार करो। इस में तुम्हारे उस प्रेम का वर्णन है, इस प्रेम का नहीं जो संसार में प्रचलित है।

2

समर्पण

27 जनवरी 2022
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काव्य, सुरस सिंगार के दोउ दल, कविता नेम। जग जन सों कै ईस सों कहियत जेहि पर प्रेम ।। हरि उपासना, भक्ति, वैराग, रसिकता, ज्ञान। सोधैं जग-जन मानि या चंद्रावलिहि प्रमान ।। स्थान रंगशाला। ब्राह्मण आशीर

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अंक प्रथम

27 जनवरी 2022
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।। जवनिका उठी ।। स्थान श्री वृन्दावन; गिरिराज दूर से दिखाता है। (श्री चन्द्रावली और ललिता आती हैं) ल. : प्यारी, व्यर्थ इतना शोच क्यों करती है? चं. : नहीं सखी, मुझे शोच किस बात का है। ल. : ठीक ह

4

दूसरा अंक

27 जनवरी 2022
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स्थान: केले का बन। समय संध्या का, कुछ बादल छाए हुए। वियोगिन बनी हुई श्री चंद्रावली जी आती हैं, चं. : एक वृक्ष के नीचे बैठकर, वाह प्यारे! वाह! तुम और तुम्हारा प्रेम दोनों विलक्षण हौ; और निश्चय बिन

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दूसरे अंक के अंतर्गत ।। अंकावतार ।।

27 जनवरी 2022
1
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।। बीथी, वृक्ष ।। (सन्ध्यावली दौड़ी हुई आती है) सं. : राम राम! मैं दौरत दौरत हार गई, या ब्रज की गऊ का हैं सांड हैं; कैसी एक साथ पूंछ उठाय कै मेरे संग दौरी हैं, तापैं वा निपूते सुबल को बुरो होय और

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