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सत्य हरिश्चन्द्र

भारतेन्दु हरिश्चंद्र

6 अध्याय
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20 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

सत्य हरिश्चंद्र भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा लिखित चार अंकों का नाटक है। काशी पत्रिका नामक पाक्षिक हिन्दी पत्र में प्रकाशित यह नाटक पहली बार १८७६ ई. में बनारस न्यु मेडिकल हाल प्रेस में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। . 5 संबंधों: नाटक, भारत दुर्दशा, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, राजा हरिश्चन्द्र, अंधेर नगरी। 

satya harishchandra

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पुस्तक के भाग

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उपक्रम

27 जनवरी 2022
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मेरे मित्र बाबू बालेश्वरप्रसाद बी.ए. ने मुझ से कहा कि आप कोई ऐसा नाटक भी लिखैं जो लड़कों को पढ़ाने के योग्य हो क्योंकि शृंगार रस के आपने जो नाटक लिखे हैं वे बड़े लोगों के पढ़ने के हैं लड़कों को उनसे क

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प्रथम अंक

27 जनवरी 2022
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जवनिका उठती है (स्थान इन्द्रसभा, बीच में गद्दी तकिया धरा हुआ, घर सजा हुआ) (इन्द्र आता है) इ. : (‘यहाँ सत्यभय एक के’ यह दोहा फिर से पढ़ता हुआ इधर-उधर घूमता है।) (द्वारपाल आता है) द्वा. : महाराज! न

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दूसरा अंक

27 जनवरी 2022
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स्थान राजा हरिश्चन्द्र का राजभवन। रानी शैव्या बैठी हैं और एक सहेली बगल में खड़ी है। रा. : अरी? आज मैंने ऐसे बुरे-बुरे सपने देखे हैं कि जब से सो के उठी हूं कलेजा कांप रहा है। भगवान् कुसल करे। स. : म

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तीसरे अंक में अंकावतार

27 जनवरी 2022
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स्थान वाराणसी का बाहरी प्रान्त तालाब। (पाप आता है) पाप : (इधर उधर दौड़ता और हांफता हुआ) मरे रे मरे, जले रे जले, कहां जायं, सारी पृथ्वी तो हरिश्चन्द्र के पुन्य से ऐसी पवित्र हो रही है कि कहीं हम ठहर

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तीसरा अंक

27 जनवरी 2022
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(स्थान काशी के घाट किनारे की सड़क) महाराज हरिश्चन्द्र घूमते हुए दिखाई पड़ते हैं ह. : देखो काशी भी पहुंच गए। अहा! धन्य है काशी। भगवति बाराणसि तुम्हें अनेक प्रणाम है। अहा! काशी की कैसी अनुपम शोभा है।

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चौथा अंक

27 जनवरी 2022
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स्थान: दक्षिण, स्मशान, नदी, पीपल का बड़ा पेड़, चिता, मुरदे, कौए, सियार, कुत्ते, हड्डी, इत्यादि। कम्मल ओढ़े और एक मोटा लट्ठ लिए हुए राजा हरिश्चन्द्र फिरते दिखाई पड़ते हैं। ह. : (लम्बी सांस लेकर) हाय

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