तुम यौवन के आरंभ को खुशी से याद करते हो और उसकी समाप्ति पर खेद प्रकट करते हो; लेकिन मैं इसे एक कैदी की तरह याद करता हूं जो जेल की सलाखों और हथकड़ियों का स्मरण करता है। तुम बचपन और यौवन के बीच के समय को चिंता एवं बंधन से मुक्त स्वर्ण युग कहते हो, लेकिन मैं उन सालों को नीरव शोक का युग कहता हूं जो एक बीज की तरह मेरे हृदय में गिरा और इसके साथ ही बढ़ता गया और संसार की ज्ञान और बुद्धिमत्ता के लिए कोई निकास नहीं मिला जब तक कि प्रेम ने आकर हृदय के दरवाजों को खोल नहीं दिया और इसके कोनों को प्रकाशित नहीं कर दिया। प्रेम ने मुझे जबान दी और आंसू भी। तुम लोग बागों, गुलाब के फूलों, मिलन स्थलों और गली के कोनों को याद करते हो जिन्होंने तुम्हारी क्रीणाओं को देखा है और तुम्हारी निर्दोष फुसफुसाहटों को सुना है; और मैं भी उत्तरी लेबनान के सुंदर स्थलों को याद करता हूं। जब भी मैं अपनी आंखों को बंद करता हूं मैं उन जादू और महिमा से भरी हुई घाटियों को देखता हूं और उन कीर्ति और महानता से आच्छादित पहाड़ों को जो आसमान को छूने के लिए प्रयासरत हैं। जब भी मैं अपने कानों को शहर के कोलाहल के प्रति बंद कर देता हूं, मैं नदिकाओं की मन्द ध्वनि और शाखाओं की सरसराहट को सुनता हूं। उन सब सुंदर चीजों की जिनकी मैं अब बात कर रहा हूं और जिनको देखने की अभिलाषा रखता हूं, जैसे एक शिशु अपनी मां के वक्ष को चाहता है, ने यौवन के अंधकार में कैद मेरी आत्मा को घायल किया था, जैसे एक बाज अपने पिंजरे में पीड़ित होता है जब वह चिड़ियों के झुंड को विशाल आकाश में मुक्त भाव से उड़ते हुए देखता है। उन घाटियों और पहाड़ियों ने मेरी कल्पना को प्रज्ज्वलित किया, लेकिन कड़वाहट भरे विचारों ने मेरे हृदय के चारों ओर निराशा का जाल बुना।
जब जब मैं खेतों की ओर गया मैं वहां से निराश वापस लौटा, अपनी निराशा का कारण समझे बिना। जब जब मैंने धूसर आकाश की ओर देखा मैंने अपने हृदय को सिकुड़ते हुए महसूस किया। जब जब मैंने चिड़ियों के गायन और झरने की कल कल ध्वनि को सुना, मैंने दुख भोगा अपने दुखों के कारणों को समझे बिना। ऐसा कहा जाता है कि अपरिष्करण मनुष्य को रिक्त कर देती है और यह रिक्तता उसे अल्हड़ बना देती है। यह उनके लिए सच हो सकता है जो मृत पैदा होते हैं और जमी हुई लाश की तरह जिंदा रहते हैं; लेकिन एक संवेदनशील लड़का जो महसूस तो बहुत करता है लेकिन जानता बहुत कम है इस संसार में बहुत दुर्भाग्यशाली प्राणी है, क्योंकि वह दो बलों के द्वारा विदीर्ण कर दिया जाता है। पहला बल उसे ऊपर उठा कर स्वप्नों के बादल द्वारा अस्तित्व की सुंदरता को दिखाता है; और दूसरा उसे पृथ्वी से बांध देता है और उसकी आंखों को रेत से भर देता है और भय एवं अंधकार के द्वारा उसे पराभूत कर देता है।
एकांत के हाथ नरम और रेशमी हैं लेकिन मजबूत उंगलियों से यह हृदय को पकड़ता है और शोक के द्वारा इसे तकलीफ देता है। एकांत शोक का सहयोगी है और साथ ही साथ आध्यात्मिक उमंग का साथी भी। लड़के की आत्मा का शोक की मार खाना वैसा ही है जैसे कुमुदिनी का खिलना। यह मंद पवन में कांपती है और प्रातः काल अपने हृदय को खोलती है और जब रात की छाया आती है वापस अपनी पंखुड़ियों को मोड़ लेती है यदि उस लड़के के पास मनोरंजन, दोस्त या खेल के साथी नहीं हैं, उसकी जिंदगी एक संकरी जेल की तरह होगी जिसमें उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता है सिवाय मकड़जालों के और कुछ भी सुनाई नहीं देता है सिवाय कीड़ों के रेंगने के।
वह शोक जिसने मुझे युवावस्था में आविष्ट कर रखा था का कारण मनबहलाव की कमी नहीं था, क्योंकि मैं यह कर सकता था; और ना ही दोस्तों की कमी इसका कारण था क्योंकि मैं उन्हें पा सकता था। उस शोक को एक आंतरिक व्याधि ने उत्पन्न किया था जिसने मेरा एकांत से प्रेम करवाया। इसने मेरे अंदर खेल एवं मनोरंजन की इच्छा का अंत कर दिया। इसने मेरे कंधों से यौवन के परों को अलग कर दिया और मुझे पर्वतों के मध्य एक सरोवर की तरह बना दिया जो अपनी शांत सतह पर प्रेतों की परछाई और बादलों और वृक्षों के रंगों को प्रतिबिंबित करता है, लेकिन एक निर्गम द्वार नहीं मिल पाता है जिस से गुजरकर गाते हुए वह सागर तक जा सके।
अठारह बरस से पहले कि यह मेरी जिंदगी थी। यह साल मेरी जिंदगी में एक पर्वत शिखर की तरह है, क्योंकि इसने मेरे अंदर ज्ञान को जगाया और मुझे इस काबिल बनाया कि मैं मानव जाति के उतार-चढ़ावों को समझ सकूं। इस वर्ष मेरा पुनर्जन्म हुआ और व्यक्ति का यदि दोबारा जन्म ना हो तो उसकी जिंदगी अस्तित्व की पुस्तक में एक कोरे कागज की तरह रहेगी। इस वर्ष मैंने एक सुंदर स्त्री की आंखों से मुझे देखते हुए स्वर्ग के फरिश्तों को देखा। मैंने एक दुष्ट व्यक्ति के हृदय में क्रोध करते हुए जहन्नुम के शैतानों को भी देखा। यदि कोई व्यक्ति जीवन की सुंदरता और द्वेष में फरिश्तों और शैतानों को नहीं देखता है तो वह ज्ञान से बहुत दूर होगा और उसकी आत्मा स्नेह से रिक्त होगी।