आज जून मास का आखरी दिन, हमारे जून के डायरी ले़खन का भी आखिरी दिन, शुक्रिया करती हूँ मैं उनका जिन्होनें ना सिर्फ दिल से पढा पर कमेंट के साथ अपनी बात मुझतक पहूँचायी। जानकर खुशी हूँवी की आपको मेरा लिखा पसंद आता है।
वैसे तो आज स्कुल को आधे दिन की छुट्टी रहती है, बचपन में हम बेसब्र होकर बस महिने के आखिरी दिन का इंतजार किया करते थे, इस महिने बरसात का अच्छा शगुन हूँवा, दो तीन महिने ऐसी ही वरुणराजा बस बरसते है तो पानी की दिक्कत कम होगी।
आज प्रतिलिती ने जो विषय दिया है क्या ही कहू उसके बारे में, आज तक मिले कम और छूटे ज्यादा है और बिना किसी गलती के, क्यूंकी उन्हें गलती से ज्यादा मुझे छोडने की जल्दी थी, अब तो दिल में दर्द भी ना होता, शुक्रगूजार हूँ मैं उस रब का की मेरे जिंदगी से चले ह़े, वरना रहकर हमेशा आँसू ही देते।मुझे कोई अच्छा अनुभव ना आया रिश्तों से शायद आपके साथ ऐसा ना हो। लिखना ज़रुर।