सोमवार, मेरे प्यारे महादेव का वार, वैसे सच कहू महादेव से मेरा बडा पुराना नाता है, मुझे महादेव से ज्यादा उनका पुत्र गणेश पसंद है, यूँ लगता है माता पार्वती और महादेव माता पिता हो, और गणेश मेरा नटखट भाई हो, स्कुल से नहीं बल्कि कॉलेज से ही मुझे गणेश को गणू भैय्या बोलने की आदत जो है।
पर ना जाने क्यू आज मुझे बचपन याद आ गया, जब सिर्फ घंटा बजाने के लिए महादेव के मंदिर जाते थे, तो महादेव को देखते ही रहते थे, हल्की हल्की सी बूँदा बारी और महिने के इंतजार के बाद ऐसा लगता था की कब स्कुल फिर से शुरु होगा और हम झूमते उछलते स्कुल जायेंगे। खैर वो तो यादे है, क्या इस सुहाने मौसम में मेरी तरह आपको भी कुछ याद आता है, पापा के पिछे नई दप्तर किताबें और अन्य चीजों के लिए भागना। दो ही तो खुशबू थी, एक गिली मिट्टी की और दुसरी नई कॉपियों की।
इन्हीं यादों के साथ मिलते है कल।