आज 14जून बस एक दिन बाद स्कुल शुरु , पता है बचपन में जब समर होलिडेज हुँवा करता था, तब हम कुछ ही दिन बाद बेसब्री से स्कुल के रिओपन होने की राह देखा करते थे, पहले दिन वो स्कुल में आकर ऐसा लगता था, की बरसों बिछडे अजीज दोस्त से मिल रहे हो, स्कुल के कंपाऊड में पैर रखते ही अपनेपन का ऐहसास होता था, यूँ लगता था की मानो स्कुल भी हमारे लिए उतना ही बेताब हो।
वो बेचैनी क्लास में आकर खत्म होती थी, कितने यादों का खजाना है स्कुल हमारा, हमारे क्लास में सरस्वती माता की एक तस्वीर थी, पांचवी से दसवी तक हर क्लास में हम उसे साथ लेकर जाते थे, मानो वो भी एक पायदान हमारी तरह क्लास में उपर आ रही हो, दसवीं के बाद सबसे ज्यादा दर्द तो उसे ही छोडने का हूँवा था। कितना मासूम बचपन था।
आज फिर से स्कुल देख वहीं सब याद आ गया मुझे, मानो की स्कुल से कभी बाहर ही ना आये हो हम। क्या आज के बच्चों को भी स्कुल ऐसा ही लगता होगा? क्या पता? हमें तो हमारे स्कुल ने काफी साथ दिया।
चलो इन्हीं यादों के साथ हम आपसे बिदा लेते है, कल मिलेंगे, और हाँ एक बात ओर आज रक्तदाता दिन के अवसर पर जिनको भी मुमकिन हो वो अपना ब्लड जरुर डोनेट करे, शायद किसीकी जान बच जाये।