वैसे तो क्या ही लिखे, पर सोचा मैनें की लिखना है तो लिखना ही है, मेरे पर्सनल चीजों के बारे में नहीं तो प्रतिलिपी जिन्होनें मुझे लिखने की आदत डाली आज उसी विषयों पर लिखने के बारे में सोच रही हूँ।
आज का आपने जिम्मेदारी की बारे में पूछा, तो सच कहू मैं कितनी जिम्मेदार हूँ मुझे तो पता ही नहीं, शायद आज तक के मेरे तर्जुबे ने यहीं मुझे सिखाया है की मैं जिम्मेदारी लेने में सपशेल फेल हूँवी हुँ।
जिम्मेदारी तो मेरे भाई ने छोटी उम्र से निभाई है, जवानी देखी नहीं थी की उसने मेरे माँ और हम तीन बहनों की जिम्मेदारी उठाई, पढाई के साथ साथ उसने हमारी शादी की जिम्मेदारी भी बखुबी उठाई, एक भाई के होते हुँवे भी पापा का फर्ज निभाया।
ऐसे परिवार पर मुझे नाज हुँवा जाता है। फिलहाल मैं भी कोशिश कर रही हूँ की जिम्मेदार बनू। फिलहाल के लिए इतना ही कल जरुर मुलाकात होगी।