लगबग दोपहर का समय हो गया है, सुबह भी थोडी आलसाई सी हुँवी, रात को सच मोबाईल देखते कब सुबह हुँवी पता ही ना चला,जानती हूँ की अच्छी नींद बहुत जरुरी है, पर मेरा मन भी उस जिद्दी बच्चे की तरह है जो मानता ही नहीं,खैर छोडिये।
काम तो करने है चाहे उमंग के साथ या नाउम्मीदी के साथ, पर काम जरुरी है। पर आज की दोपहर कुछ उम्मीद लेकर आई है, जिंदगी के आगे बढने की उम्मीद, खुद में सुधार करने की उम्मीद, आय होप अब इस उम्मीद को पूरा करने के लिए मुझे इंतजार ना करना पडे, हमेशा के लिए।
क्या है ना जिंदगी को कामयाब बनाने में मैं ही शायद कहीं कम पड गई, कोशिश तो पूरी की थी जो चाहे वो पा जाऊ पर मुमकिन ना हो पाया, आज भी कहाँ जद्दो जहत रुकी है। पर एक चीज है जो बदली नहीं वो है खुद पर से मेरा यकिन और आशा का दामन।
चलिये कल और बात करेंगे।