आज मंगलवार, सुबह से ही बारीश हो रही है, बाहर जाने का मन तो कर रहा है, कहीं दूर कार में बैठकर या फिर ट्रेकिंग पर कहीं जाने का मन कर रहा है, पर स्कुल को छुट्टी जो नहीं है।
तो अपना काम ही कार और वहीं बच्चे ही मेरी ट्रेकिंग। चलो तो निकली मैं काम पर जाने के लिए।आज प्रतिलिपी जी ने पशु प्रेम दिया है।
सच कहू तो ऐसा नहीं की मुझे पशु प्राणियों से प्यार नहीं, है बिल्कुल है। किसीके भी हो मैं उन्हें खाना पानी देती रहती हूँ, पर मुझे ज्यादा उनका मोह नहीं है। जबसे बचपन में मेरी प्यारी बिल्ली की मौत हो गई, और दूसरी कहीं चली गई, तबसे मैंने कोई जानवर ना रखा अपने घर में। मैं किसीको चला जाता नहीं देख सकती।
कुत्तें से तो पहले से मुझे डर लगता है, तो उसको पालने का सवाल ही नहीं, हां मेरे मामा के यहाँ सब है बिल्ली, कुत्ता, गाय, सब है। तो कभी कभी जब जाती हूँ वो मेरे हिस्से आते है थोडा बहुत। और हमारे यहाँ तो जगह ही नहीं है। तो दूर से प्यार अच्छा, सबसे खाना खिलाकर उनकी दूँवाए लेती हूँ।
करोना के काल मैं तो कितने सारे भूखे मर गये बेचारे, ना कोई खाना देता, ना पानी। हॉटेल बंद होने के कारण खाना ही ना था, पर फिर भी कुछ लोग उन्हें खिलाते थे। सच कहू फिर कुछ ऐसी हूँवा तो ज़रुर खाना खिलाना।