आज सुबह से ही बारीश शुरु है हमारे यहाँ, आपके शहर का क्या हाल है, वैसे तो बारीश मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद है, पर बारीश में दिक्कत ये है की बाहर का नज़ारा तो खुबसुरत होता है, पर चिपचिप, दलदल के कारण हम बाहर ना जा सकते है।
दुसरी दिक्कत ये ही की कपडे भिगते तो बहुत है पर सुखते जल्दी नहीं, चलो फिर भी बारीश से मोहब्बत का रिश्ता है तो इतना तो चलता है।
आज प्रतिलिपी ने हमें अनुभव का कोई मोल नहीं ये विषय दिया है, क्या सच में आपको भी लगता है अनुभव का मोल नहीं होता, मैं तो ये मानती हूँ अनुभव से इंसान सबकुछ सिखता है, जो आज है वो अनुभव की बजह से ही है।
मैं तो मानती हूँ कि जिसके भी अनुभव से सिखा जाये अच्छा है, सिखते रहो, ताकि बहुत से गलती करने से बचोगे।
इस बात से मैं सहमत नहीं की अनुभव का मोल ना होता, आप अपना बताना दोस्त। चलो कल फुरसत से मिलते है।