हे भगवन ! वर दीजिए, रहे सुखी संसार |
घर परिवार समाज पर, बरसे कृपा अपार ||
दीन दुखी कोई न हो, औ सूखे की मार |
अम्बर बरसे प्रेम से, भरे अन्न भण्डार ||
कृपा करो हे शारदे, बढ़े कलम की धार |
अक्षर चमके दूर से, शब्द मिले भरमार ||
बेटी सदन की लक्ष्मी, मिले उसे सम्मान |
रोती जिस घर में बहू, होती विपत निधान ||
मीना