दुनिया की भीड़ में अकेला,
राही अपनी मंजिल तलाशता।
भटक रहा है इधर - उधर,
राह अपनी हर पल बदलता।।
दुनिया की भीड़ में अकेला,
खो न जाए कहीं पर।
साथ ढूंढता है वो किसी का,
साथ मिल जाए कहीं पर।।
दुनिया की भीड़ में अकेला,
राह ताकता जा रहा है।
कोई सुनता नहीं है मगर,
फिर भी सुनाता जा रहा है।।
दुनिया की भीड़ में अकेला,
खुद की पहचान खोता जा रहा।
एक कामयाब जीवन पाने को,
खुद से खुद की पहचान पा रहा।।
दुनिया की भीड़ में अकेला,
प्रयास निरंतर करता जा रहा।
अनुनय विनय के फेर न पड़ के,
प्रयासों को सफल करता जा रहा।।
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