आसमान के पंछी उड़ते,
फैला कर पंख पसार।
ऊंची ऊंची उड़ाने भरते,
अपने पंखों को पसार।।
ख्वाहिशें करते रहते पंछी,
चमकुं सूरज बन आसमां में।
सूरज बन के किरणें फैलाऊं,
धरती को ताकुं आसमां में।।
ख्वाहिश पंछियों की होती,
चंदा बन के चमकूं आसमां में।
चांदनी बिखेर उजियारा फैलाऊं,
चांदनी रात देखूं आसमां में।।
कभी आसमान में तारे बन कर,
ख्वाहिश पंछियों की धरा पे आऊं।
चमकूं तारे बन कर ऐसे धरा पे,
धरती पर चमक ऐसे बिखराऊं।।
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