जगमगाते सितारे टिमटिमाते,
कितने देखो चांदनी रात में।
चांद भी अपनी बिखेर रहा,
रौशनी कितनी चांदनी रात में।।
जगमगाते सितारे का मंडल,
आभा बिखेर रहा है अपनी।
सप्त ऋषियों का समूह भी,
एक जुटता दिखा रहा अपनी।।
जगमगाते सितारे टिमटिमाते,
देख सब सपनों में खो रहे।
ध्रुव तारा चमक रहा कितना,
जैसे सब आभा बिखेर रहे।।
जगमगाते सितारे टिमटिमाते,
चांदनी बिखेर रहे आसमां में।
सितारे टिमटिमाते रहे हो ऐसे,
जैसे दीपक जल रहे आसमां में।
जगमगाते सितारे अंतरिक्ष में
बिखेर रहे हैं रौशनी अपनी।
चांदनी रात में रौशन हो रही,
दीप प्रज्वलित आभा अपनी।।
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