स्त्री के लिए घर संसार,
उसका अपना परिवार होता है।
प्यारे से अनमोल बच्चे,
संग हमसफ़र का साथ होता है।।
घर संसार में रिश्ते नाते,
उनका भी बंधन होता है।
रिश्तों की डोर में बंधे,
उनका जग संसार होता है।।
घर संसार में बसती मिठास,
एक दूजे से आस बंधी होती है।
मनमुटाव रिश्तों में आते मगर,
रिश्तों की मिठास घुल जाती है।।
स्त्री के घर संसारी जीवन में,
आते रहते बहुत उतार चढ़ाव।
मन को संयमित नियंत्रित कर,
गुजरते रहते बहुत उतार चढ़ाव।।
देख कर घर संसारी जीवन,
पुलकित आह्लादित होता मन।
माला में एक पिरोए हुए से,
मोती बन कर रहते हुए मन।।
_____________________________________________
________________________________________