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नदी

8 जून 2022

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मीठा होता नदी का पानी,
पीने योग्य सदा ही होता।
झर झर बहता झरना भी,
निर्मल पानी ही वो होता।।

सागर कहता खारा हूं मैं,
नदियों को समाहित करता।
खारे सा क्यों हूं मैं,
ये बात मैं नहीं जानता।।

पोखर कहता क्यों आती,
मुझमें दुर्गन्ध है ऐसी।
बहता नहीं हूं क्योंंकि मैं,
अविरल धारा है जैसी।।

ऐसी ही होती है जिंदगी,
बोलो तुम भी मीठी बोली।
स्थिर हो पोखर की तरह,
बोलोगे अगर कड़वी बोली।।
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रचनाएँ
काव्य सुलेखा
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काव्य सुलेखा मेरी कविताओं का संग्रह है, जिसमें मैंने जीवन के भिन्न भिन्न पहलुओं को उजागर किया है। कहीं रिश्तों का मर्म, कभी मन शांत तो उठते सवाल, पारिवारिक जीवन, मान सम्मान, नारी का आत्म विश्वास, जिंदगी के भिन्न भिन्न रंगो को अपनी कलम से सजाया है। ये मेरी स्वरचित कविताओं का संग्रह जिनपर मेरा कॉपी राइट है।
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करुणा

22 सितम्बर 2021
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करुणा मां में बरपती,अपने आंचल में समेटती।उसकी करुणा का सागर,कान्हा पे वह छलकाती।।करुणा और मुस्कान लिए,घर को अपने समेटती।दर्द को अंतर्मन में रखकर,मुस्कान चेहरे पे बिखेरती।।कान्हा की इच्छाओं को,पं

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उम्मीद

23 सितम्बर 2021
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उम्मीद एक भंवर है,डूबता और उतराता है।आशा और निराशा बीच,बनता और संवरता है।।उम्मीद पे दुनिया कायम,जीवन मंत्र का जाप करें।कहते हैं उम्मीद पे कायम,इस सार का उपकार हरे।।जीवन की डगमगाती राहों पे,आगे मंजिल ह

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पुष्प की अभिलाषा

24 सितम्बर 2021
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पुष्प की अभिलाषा होती,खिल कर महकुं बगिया में।हवाएं चले ऐसे पवन की,खुशबू बिखराए बगिया में।।पुष्प की अभिलाषा होती,तोड़ न ले कोई माली ऐसे।खिल कर खुशबू बिखरे ऐसे,मुरझा कर न मर जाऊं ऐसे।।पुष्प की अभिलाषा ह

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आत्म विश्वास

5 जून 2022
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आत्म विश्वास शक्ति एक,कामयाबी की ओर बड़े कदम।सफल हो जाए यह जीवन,नहीं पीछे हटे फिर कदम।।आगे बढ़ना है अगर,दूसरों की सुनना बंद करो।आत्म विश्वास जगाओ तुम,अंतर्द्वंद्व अपने में बंद करो।।सुखद जीवन जीने के ल

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सुगंध

5 जून 2022
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सुगंध से परिपूर्ण ये पुष्प,आह्लादित कर देते मन को।मन में एक विश्वास जगाते,मिलती है शांति मन को।।पुरवाई हवा चले ऐसे की,सुगंध चहुंओर फैल गई।खुशबू बिखरने लगी ऐसे,मन को आह्लादित कर गई।।प्रकृति ने भी छटा ब

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बेटी

5 जून 2022
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बेटे भाग्य से होते हैं,तो बेटियां सौभाग्य से होती हैं।बेटे आन होते हैं,तो बेटी शान होती हैं।।बेटे तिलक होते हैं,तो बेटी राजतिलक होती हैं।बेटे मान होते हैं,तो बेटी गौरव होती हैं।।बेटे खुशी होते हैं,तो

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घर संसार

5 जून 2022
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स्त्री के लिए घर संसार,उसका अपना परिवार होता है।प्यारे से अनमोल बच्चे,संग हमसफ़र का साथ होता है।।घर संसार में रिश्ते नाते,उनका भी बंधन होता है।रिश्तों की डोर में बंधे,उनका जग संसार होता है।।घर संसार म

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लेखन की पाबंदी

6 जून 2022
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लेखन की पाबंदी कहां तक,उत्कृष्ट विचारों का दर्पण।मन के भावों का उदगम,जहां होता मन का दर्पण।।लेखन की पाबंदी कहां तक,उचित और अनुचित का उदगम।।भावों और विचारों का संगम,आदान प्रदान विचारों का उदगम।लेखन की

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मां से अदभुत है संसार

6 जून 2022
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मां से अदभुत है संसार,जन्मदायिनी मां ही होती।उंगली पकड़ चलना सिखाती,मां ये अदभुत काज सिखाती।।मां से अदभुत है संसार,प्रथम शिक्षिका मां ही होती।पढ़ना लिखना मां ही सिखाती,स्कूल का रास्ता वही दिखाती।।मां

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तितली

6 जून 2022
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रंग बिरंगी तितली देखो,उड़ती मस्त पवन में।फूल फूल मंडराती देखो,उड़ती तितली मधुवन में।।तितली बैठे जब फूलों पर,रस फूलों का ले लेती है।मकरंद फूलों का ले लेकर,फूल फूल ऐसे मंडराती है।।इतराती इठलाती तितली,फू

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तूफान

6 जून 2022
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तूफान का आना भी जरूरी,है जिंदगी में हलचल के लिए।शांत नदी सी जिंदगी में यूं,अपने पराए पहचानने के लिए।।ऐसे क्रोध न कर ए इंसा,मन शांत रख पहचान कर।किसने साथ निभाया अपना,किसने नहीं ऐसे पहचान कर।।जिंदगी में

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भाग्य या मेहनत

7 जून 2022
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किस्मत हमारी भाग्य से जुड़ी,या फिर होती ये मेहनत से।जीवन के पहलुओं को उजागर,करते फिर भाग्य या मेहनत से।।मेहनतकश इस जीवन में कुछ,आशा और निराशा का खेल।भाग्य में लिखा होता है अगर,बनता है ये किस्मत का खेल

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सोच

7 जून 2022
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ऐसी सोच रखो मन में,की राही को रास्ता मिले।पांव रख और बढ़ा कदम,की राही को रास्ता मिले।।जिंदगी की कसौटी से यूं,हर रिश्ता गुजरता गया।माना कि हम गैर नहीं,हर रिश्ता गुजरता गया।।कुछ अपने और कुछ दूजे,वो अपने

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नन्ही उम्मीदें

7 जून 2022
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नन्ही उम्मीदें छूने को,आसमां में उड़ चले।उड़ना है गर पंछी जैसे,छूने को आसमां चले।।नन्ही उम्मीदें कहते हैं कि,तकलीफ भी बहुत देती।पर कहते हैं न ऐसे की,उम्मीद पे दुनिया होती।।न जाने क्यों उम्मीद रहती,आसम

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खबर कितनी सच है?

8 जून 2022
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खबर कितनी सच है?ये जानना है जरूरी।ये वक़्त का तकाजा है,मानना भी है जरूरी।।खबर कितनी सच है?ये कुछ सच कुछ झूठ।फैलाव इसका चहुंओर,मानु इसको सच या झूठ।।खबर कितनी सच है?चोरी, डकैती,लूटपाट।मारामारी और दंगे फ

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एक नई दुनिया

8 जून 2022
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चलो जिंदगी बसाते है,एक नई दुनिया अपनी।दूर कहीं पे हम अपनी,बसाते है दुनिया अपनी।।नई शुरुआत जो औरों ने की,खुद हम भी अब करते हैं।हर पल हर क्षण अब एक,नए एहसास से गुजरते हैं।।समय अगर गुजर जाएगा,पछताने से क

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जीवन रूपी नदी

8 जून 2022
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जीवन रूपी नदी में प्रवाहित,उतार चढ़ाव होते भिन्न-भिन्न।तैरोगे धारा के विपरीत अगर,हो जाओगे तुम छिन्न- भिन्न।।जीवन है तो यूं एक ख्वाहिश,ख्वाहिशें ऐसी अधूरी भी होती।जिंदगी से जुड़ा है जीवन,तो ख्वाहिशें भ

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नदी

8 जून 2022
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मीठा होता नदी का पानी,पीने योग्य सदा ही होता।झर झर बहता झरना भी,निर्मल पानी ही वो होता।।सागर कहता खारा हूं मैं,नदियों को समाहित करता।खारे सा क्यों हूं मैं,ये बात मैं नहीं जानता।।पोखर कहता क्यों आती,मु

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अधूरापन

9 जून 2022
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अधूरापन लिए जिंदगी,हमसफ़र के बिना कुछ नहीं।साथ होता है हरपल तो,कमी कुछ भी खलती नहीं।।अधूरापन लिए जिंदगी,खुद की औलाद न हो।औलाद का होना जरूरी,हमसफ़र का साथ भी हो।।अधूरापन लिए जिंदगी,ख्वाहिशें भी अधूरी ह

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रोना नहीं

9 जून 2022
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रोना नहीं कभी जिंदगी में,किसी वस्तु के लिए भी।रोना पड़े तो रोना अकेले में,दर्द समझ के तुम्हारा भी।।रोते हो क्यों उसके लिए,जो आसुओं के लायक नहीं।जो तुम्हारे लायक होगा तो,वह तुमको रोने देगा नहीं।।दुआएं

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तारों के नीचे

9 जून 2022
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तारों के नीचे ये धरती,धरती में वीरानी सी क्यों।उजड़ा चमन क्यों छा रहा,धरती में वीरानी सी क्यों।।रात घनेरी छाई ऐसी,सन्नाटे को चीरती हवाएं।जैसे चीखती हो आवाजें,सन्नाटे को चीरती हवाएं।।तारों के नीचे निशा

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जिंदगी के सफ़र में

9 जून 2022
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हम जिंदगी के सफ़र में,जब साथ लिए अपनों का।बढ़ते जा रहे हमारे कदम,जब साथ लिए अपनों का।।हम जिंदगी के सफ़र में,इम्तहानों से गुजरते गए।जिंदगी के किरदारों को,ऐसे हम निभाते चले गए।।हम जिंदगी के सफ़र में,हकद

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मन से पवित्र

9 जून 2022
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मन से पवित्र रहोगे,सच बोलने की आदत होगी।ईश्वर के करीब रहोगे,ईश्वर की वासना होगी।।जिंदगी समझ में न आए,परमात्मा पे मोड़ देना।उस रब की बनाई दुनिया,उस रब पर मोड़ देना।।उस रब से कुछ मत मांगो,उसको पता तुम्ह

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संगत

9 जून 2022
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संगत का फर्क सीखो भाई,न हो कोई जग हंसाई।जैसे गर्म तवे पे बूंद पानी की,गायब हो जाती है भाई।।सागर में सीप की संगत,पानी की बूंद बने मोती।गिरे पानी कमल के पत्ते पे,बूंद पानी की चमके मोती।।संगत ऐसी फूलों क

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शापित

9 जून 2022
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शापित एक घर जहां,सब गायब हो जाता है।इंसान ही क्या उसका,अस्तित्व खत्म हो जाता है।।शापित एक घर जहां,सन्नाटा पसरा रहता है।जाने से कोई भी वहां,घबराता ही क्यों रहता है।।शापित एक घर जहां,सन्नाटे से घबराते ल

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वहां कौन रहता है

9 जून 2022
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दूर गगन की छांव में,वहां कौन रहता है?।कहते हैं हम उसपार,वहां कौन रहता है?।।नज़र उठाता है पहाड़ी से,जहां तक नज़र है जाती।वहां कौन रहता है देखो,वहां पर जब नज़र घुमाती।।देखना और परखना उसको,देखना वहां कौन

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जिंदगी

9 जून 2022
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प्रभु सुकून चाहिए उतना,की जिंदगी ये चल पाए।हैसियत चाहिए कि उतनी,भला औरों का हो जाए।।प्रभु रिश्तों में गहराई उतनी,जिंदगी की कसौटी समझ आए।सुकून दीजिए उतना की हमें,जिंदगी भी अपनी संभल जाए।।रिश्तों में सम

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मेला

10 जून 2022
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मेला लगता हर क्षेत्र में,जहां भीड़ भाड़ होती।देखने सजी सजाई दुकानें,खरीदते बेचते भीड़ भाड़ होती।।लोग सजाते अपनी दुकानें,कहीं कपड़ों और खिलौनों की।कहीं चाट और हाट की देखो,मेले में उमड़े जनसैलाब की।।कही

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प्रशंसा

10 जून 2022
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प्रशंसा कितनी भी करो,अपमान सोच समझ कर करो।लौट कर आता है वापस वही,चाहे तुम जो कुछ भी करो।।प्रशंसा भी एक ऋण है,अपमान भी एक ऋण ही।जो कुछ भी दोगे तुम,वही वापस आएगा ही।।घमंड मत करना कभी तुम,घमंड भी एक सागर

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कविता

11 जून 2022
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मैं हूं एक कविता,भावों की अभिव्यक्ति।उमड़ते घुमड़ते विचारों की,सुन्दर सी ये अभिव्यक्ति।।मैं हूं एक कविता,मन में ख्वाबों को सजाती।विचारों को व्यक्त करने में,कागज का सहारा ढूंढती।।मैं हूं एक कविता,शब्दो

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सुख दुःख

11 जून 2022
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सुख दुःख तो मेहमान हैं,बारी बारी से ये आएंगे।एहसासों से हम नहीं गुजरेंगे,तो अनुभव कहां से लाएंगे।।आसानी से सब मिल जाता,न मिलता तो किस्मत होती।बात पते की सुन लो भाई,भरोसे की क्या बात होती।।हम कोशिश भी

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तिरंगा

11 जून 2022
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न पूछो क्या पहचान हमारी है,आजाद भारत देश की कहानी है।शान तिरंगा ये जान हमारी है,तिरंगे की यह शान पुरानी है।।आजाद वतन के हम बाशिंदे,भाषाएं भले ही हमारी अनेक।अनेकता में एकता हमारी जान,तिरंगा ही हमारी शा

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सोनचिरैया

11 जून 2022
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ओ री मेरी सोनचिरैया,फुदकती रहती घर आंगन में।एक छोर से दूजे छोर तक,पंख पसारे रहती घर आंगन में।।ओ री मेरी सोनचिरैया,बैठ जाती हो अटरिया पर।दाना पानी लेकर तुम,चली जाती हो अटरिया पर।।ओ री मेरी सोनचिरैया,उड

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इन्द्रधनुष

11 जून 2022
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सतरंगी इन्द्रधनुष ने आसमान में,खीचीं है अपनी क्षैतिज रेखा।रंग बिरंगे रंगों से सजी देखो,एक छोर से दू जी क्षैतिज रेखा।।लाल, बैंगनी, नीला, पीला,हरा, गुलाबी और है नारंगी।इन्द्रधनुष ने आसमान में देखो,

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सुनहरी सुबह

12 जून 2022
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सुनहरी सुबह ने धरा पर,कैसे अपनी लालिमा बिखेरी।सूरज की किरणों ने अपनी,धरा पर अपनी रौशनी बिखेरी।।बसंत हुआ अवतरित धरा पर,पेड़ भी लहराने लगे पवन से।सूरज भी आसमान में देखो,रौशन हो रहा है इस कदर से।।उड़ने ल

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समय और शब्द

13 जून 2022
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समय और शब्द का तुम,न लापरवाही से करो प्रयोग।वरना दुनिया की भीड़ में,होगा तुम्हारी ही उपयोग।।गलत बोलने पर कभी,वह वापस नहीं आता।शब्द तीर की तरह होता,कमान में वापस नहीं आता।।जो कल समय था आज नहीं,आज के पल

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आसमान के पंछी

14 जून 2022
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आसमान के पंछी उड़ते,फैला कर पंख पसार।ऊंची ऊंची उड़ाने भरते,अपने पंखों को पसार।।ख्वाहिशें करते रहते पंछी,चमकुं सूरज बन आसमां में।सूरज बन के किरणें फैलाऊं,धरती को ताकुं आसमां में।।ख्वाहिश पंछियों की होत

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रिमझिम

14 जून 2022
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रिमझिम है तो सावन गायब,बच्चे हैं तो बचपन गायब।क्या हो गई तासीर खुदाया,अपने है तो अपनापन गायब।।चक्रव्यूह रचना अपनों से सीखो,अपने ही अपनों को सिखाते।विश्वास न करना तुम कभी,अपने ही ये तुमको सिखाते।।संभाल

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मिट्टी के खिलौने

15 जून 2022
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मिट्टी के खिलौने देखो,होते हैं ये कितने सुन्दर।सुन्दर और सलोने खिलौने,होती है मूरत कितनी सुन्दर।।मिट्टी के खिलौने देखो,बनते हैं कच्ची मिट्टी से।कच्ची मिट्टी को सांचे में,ढाल के मूरत ये मिट्टी से।

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रेलयात्रा

16 जून 2022
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रेलयात्रा का सफर,होता बड़ा सुहाना।पल भर में कहां पे,ले जाए सफर सुहाना।।छुक छुक करती हुई,रेल चलती चली जाए।दिखते सुन्दर पेड़ पौधे,मनमोहक लगता जाए।।नदी पहाड़ आए रास्ते में,या फिर खेत खलिहान हो।लगते हैं य

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कागज़ का टुकड़ा

17 जून 2022
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कागज़ का टुकड़ा जिस पर,कलम,स्याही, दवात का पहरा।शब्दों का प्रयोग जहां तक,मनस्थिति आंकलन का पहरा।।कागज़ का टुकड़ा जिस पर,लेखनी से विचार सजाते।भावों और विचारों का मंथन,प्रयासों से अपना लेखन सजाते।।कागज़

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जगमगाते सितारे

18 जून 2022
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जगमगाते सितारे टिमटिमाते,कितने देखो चांदनी रात में।चांद भी अपनी बिखेर रहा,रौशनी कितनी चांदनी रात में।।जगमगाते सितारे का मंडल,आभा बिखेर रहा है अपनी।सप्त ऋषियों का समूह भी,एक जुटता दिखा रहा अपनी।।जगमगात

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खट्टी मीठी यादें

19 जून 2022
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खट्टी मीठी यादें जुड़ी,होती है जीवन में कुछ।रिश्तों की डोर में बंधे,पिरोए होते हैं ये कुछ।।खट्टी मीठी यादें जुड़ी,यादें ताज़ा हो जाती है।बातें याद आती है कुछ,खुशबू अपनी बिखराती है।।खट्टी मीठी यादें जु

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दुनिया एक है

20 जून 2022
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दुनिया एक है माना,खींच रखी क्षैतिज रेखा।मानक तय करना इसका,दृश्य को परिपेक्ष्य में देखा।।दुनिया एक है माना,नहीं होती ये परिकल्पना।इंसा ही इंसा का दुश्मन,नहीं स्नेह की कल्पना।।दुनिया एक है माना,प्रयास क

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मानवता के लिए योग

21 जून 2022
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मानवता के लिए योग करें,स्वस्थ जीवन को हम जिए।शक्ति और स्फूर्ति जगाए,तन मन को स्वस्थ बनाए।।मानवता के लिए योग करें,योग दिवस को यादगार बनाए।समय अपना कुछ देकर ऐसे,नियमित योग से ताज़गी जगाए।।मानवता के लिए

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दुनिया की भीड़

22 जून 2022
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दुनिया की भीड़ में अकेला,राही अपनी मंजिल तलाशता।भटक रहा है इधर - उधर,राह अपनी हर पल बदलता।।दुनिया की भीड़ में अकेला,खो न जाए कहीं पर।साथ ढूंढता है वो किसी का,साथ मिल जाए कहीं पर।।दुनिया की भीड़ में अक

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अनुभव

23 जून 2022
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अनुभव नहीं कोई कल्पना,कर्म से ही यह आता है।प्रयास विफल नहीं होता,अनुभव तो जरूर मिलता है।।कर्म में हो समाहित जब,अनुभव का ज्ञान मिलता।प्रयास से अनुभव हासिल,स्वीकार ये खुद को होता।।कर्म भूमि मनुष्य के हा

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नारी

24 जून 2022
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नारी स्वयं शक्ति होती है ,होते हैं इसके विभिन्न रूप।जरूरत खुद को जानने की,होते क्या है इसके ये रूप।।नारी दुर्गा नारी ही शक्ति,नारी शक्ति अपरम्पार है।खुद को जाने और पहचाने,जीवन मंत्र का ये सार है।।नारी

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अज्ञानी व्यक्ति

25 जून 2022
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ज्ञानी व्यक्ति के ज्ञान से,अज्ञानी व्यक्ति अर्जित करै।अज्ञानी व्यक्ति के अज्ञान को,कोऊ व्यक्ति अर्जित न करै।।जीवन के अन्धकार दूर होत,ज्ञानी व्यक्ति से ज्ञानार्जन होत।अज्ञानी व्यक्ति भी घबरात ,जब उहे ज

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सुमिरन करो प्रभु

26 जून 2022
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सुमिरन करो प्रभु को,लगे नश्वर जग संसार।माया मोह के छूटे बंधन,लगे नश्वर जग संसार।।जिंदगी है दो पल की,सिर्फ नाम प्रभु का लीजै।पार लगेगी नैया तुम्हरी,इक बार सुमिरन कर लीजै।।आया है रे तू मनवा,देखन तू

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जिज्ञासा

27 जून 2022
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जिज्ञासा एक आशा है,जागरूकता जो जगाती।कुछ जानने को उत्सुक,मन में आस वह जगाती।।उत्सुक और बेचैन मन,पिपासा को वह जगाता।जिज्ञासा है एक आशा,बेचैन मन को शांत करता।।जब तक जान न लेता,तब तक शांत न होता।जिज्ञासा

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दीप तले अंधेरा

28 जून 2022
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दीप तले अंधेरा होता है,जब दीप प्रज्वलित होता है।चहुंओर प्रकाश फैला कर,खुद ही जलता रहता है।।दीप तले अंधेरा लेकिन,चहुंओर रौशनी भर देता है।दीप तले पतंगा आए तो,जल कर वह मर जाता है।।दीप तले अंधेरा है किन्त

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