सुनहरी सुबह ने धरा पर,
कैसे अपनी लालिमा बिखेरी।
सूरज की किरणों ने अपनी,
धरा पर अपनी रौशनी बिखेरी।।
बसंत हुआ अवतरित धरा पर,
पेड़ भी लहराने लगे पवन से।
सूरज भी आसमान में देखो,
रौशन हो रहा है इस कदर से।।
उड़ने लगे पंछी आसमां में,
लहराने लगे पंख हवा में।
पंछी पेड़ों पर चहचहाने लगे,
कलरव गूंज रहा है हवा में।।
सुनहरी सुबह की किरणें ऐसी,
जब धरा पर रौशनी बिखराई।
प्रकृति ने भी स्निग्ध हो उन्हें,
देखकर अपनी छटा बिखराई।।
सुनहरी सुबह की किरणें आई,
नदियों का कल कल गूंजने लगा।
पेड़ पौधे मस्त पवन से लहराते,
बाग भी फूलों से महकने लगा।।
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