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जब फौजी का शव घर आया (अल्फ्रेड लार्ड टेन्निसन की कविता "होम दे ब्रॉट हर वारियर डेड" का अनुवाद)

15 अगस्त 2015

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ना चीखी , ना चिल्लाई , ना ही पीटा छाती उसने, पास खड़ी सखियाँ सोचें हैरत से , हुआ अजूबा कैसा भाई , ना रोइ तो मर जाएगी, विधवा सखी विचारी | करें जतन अब कैसे हम सब मिलकर सारी | उसकी तारीफ के कसीदे पढ़े , महानता की कहानियां गढ़े , ना लब हिले , ना नैनों के पट झपके , ना ही नीर बहे नैनन से | पास खड़ी बुढ़िया माई ने , हौले से कफ़न सरकाया , सोये शव का निष्छल मुख , झट से पट से बाहर आया | ना लब हिले , ना नैनों के पट झपके , ना ही नीर बहे नैनन से | नब्बे साल की बुढ़िया दाई , बैठी यह सब देख रही थी , कैसे रोये कोमल बिटिया , चुपचाप ये सोच रही थी | फौजी के चुटकी नौनिहाल को , झट से उसने झपट लिया, बेवा के सूने गोदी में , लेजाकर उसको पटक दिया | हां लल्ले कहकर, नौनिहाल से लिपट पडी, खोई -खोई सूनी आँखों से अंसुअन की धारा फूट पडी |

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बिनय कुमार शुक्ल

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धन्यवाद महोदय

5 अक्टूबर 2016

ओम प्रकाश शर्मा

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बिनय जी, काफी मुश्किल कार्य आपने सुगमतापूर्वक बड़ी ही सुन्दरता से किया है...अंग्रेज़ी रचना के भावों को हिंदी में अत्यंत सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है I

1 सितम्बर 2015

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स्वतंत्रता दिवस मित्रों के साथ

15 अगस्त 2015
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विदाई विल्फ्रेड ओवेन की कविता का अनुवाद

15 अगस्त 2015
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रात के अँधेरे में ,शंटिंग ट्रेनों के खेमे में विधवाओं सी सजी संवरी उन्मुक्त नव यौवनाये फटे ढोलों की थाप पर विदाई के कुछ गीत गा रही थी, लगता था जैसे किसी के मौत का मातम मना रहीं थी |थके राही, हताश कुलियों का मंजर यह सब निहार रहा थाइस गुप्त अँधेरे में ,गाड़ी के ठसाठस भरे डब्बे में सीमा पर लड़ने गुमनाम

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जब फौजी का शव घर आया (अल्फ्रेड लार्ड टेन्निसन की कविता "होम दे ब्रॉट हर वारियर डेड" का अनुवाद)

15 अगस्त 2015
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ना चीखी , ना चिल्लाई , ना ही पीटा छाती उसने,पास खड़ी सखियाँ सोचें हैरत से ,हुआ अजूबा कैसा भाई ,ना रोइ तो मर जाएगी, विधवा सखी विचारी | करें जतन अब कैसे हम सब मिलकर सारी |उसकी तारीफ के कसीदे पढ़े , महानता की कहानियां गढ़े ,ना लब हिले , ना नैनों के पट झपके ,ना ही नीर बहे नैनन से |पास खड़ी बुढ़िया माई ने

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अपराध

15 अगस्त 2015
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अपराध जो अबतक एक अनियोजित सेक्टर था अब लगता है सुनियोजित सेक्टर होता जा रहा है । कुछ लोगो का मानना है कि अपराध के क्षेत्र में सिर्फ पुरुषो का ही एकाधिकार है पर हाल की कुछ घटनाओं ने इस धारणा को बदलने का प्रयास किया है । इसमें पहली घटना है डेबिट / क्रेडिट कार्ड की जानकारी जुटाने की । मेरे एक मित्र है

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साँपों की पहचान एवं सर्पदंश की चिकित्सा

5 जुलाई 2016
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