दिल का जज़्बा सुर्ख़ियो अख़बार करने की सज़ा
पायी है शायद किसी से प्यार करने की सज़ा
इश़क़ का मफ़हूम यारों बस यही है ना गुज़ीर
दिल के बाग़ीचे में ग़म को यार करने की सज़ा
उफ़ नज़र में कोई जमता ही नहीं है दोस्तों
उस जमाले यार के दीदार करने की सज़ा
दौरे हाज़िर हाशिये पर हूं तड़पता मैं सदा
मैंने पाई है तबीयत मीआर करने की सज़ा
ख़ुद जड़ों से कट गया हूं टहनियां आज़ार हैं
अजदाद के उन मशवरों को तातार करने की सज़ा
मन्दिरो मस्जिद से बढ़कर है गुनाह ए मेरे दोस्त
प्यार में डूबे दिलों को मस्मार करने की सज़ा
शाह किसने दी इजाज़त दौरे मुश्किल है ये हाल
क्या पता है ख़ूब तुमको व्यापार करने की सज़ा
शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी
8299642677