shabd-logo

ग़लतफ़हमी

17 सितम्बर 2015

158 बार देखा गया 158
featured imageटूटी कलियां जवां नही होती । बातें यूँ ही हवा नहीं होती ।। मैंने ढूंढे कई उपचार मगर । शक़ की कोई दवा नहीं होती ।।
नरेन्द्र पाठक

नरेन्द्र पाठक

धन्यवाद ॐ भाई साहब

18 सितम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

शक़ की कोई दवा नहीं होती.... बहुत खूब !

18 सितम्बर 2015

4
रचनाएँ
narendrapathak868gmailcom
0.0
सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा जिमि हरी शरण न एकउ बाधा
1

संयम

17 सितम्बर 2015
0
4
3

ग़ुलाब के फूल में हजारों कांटे होते है फिर भी वो ग़ुलाब हमेशा हँसता मुस्कुराता है और खिलखिलाते हुए ओरो को सुगंध प्रदान करता है वातावरण को सुगन्धित रखता है इसी तरह मनुष्य के जीवन में भी दुःख रुपी कांटे आते है तो मनुष्य क्यों अपना संयम खो देता है ???????? पंडित नरेंद्र पाठक

2

ग़लतफ़हमी

17 सितम्बर 2015
0
3
2

टूटी कलियां जवां नही होती ।बातें यूँ ही हवा नहीं होती ।।मैंने ढूंढे कई उपचार मगर ।शक़ की कोई दवा नहीं होती ।।

3

परिचय

18 सितम्बर 2015
0
2
1

हम सितारे है और रात में चमकते है ।चाँद के सामने औक़ात में चमकते है ।।हम तो इन रात के भी हाथ में हीना जैसे ।छूट जाते है मगर हाथ में दमकते है ।।हम वो गुलाब नहीं जो एक डाली पे रहे ।हम तो खुशबू है हर एक बाग में महकते है ।।नही तासीर हमारी की हम खामोश रहे ।हम तो शीशे है जो टूटे भी तो खनकते है

4

लेखनी

26 सितम्बर 2015
0
2
0

जुगनूं की पहचान उसके पीछे जलती हुई रोशनी से होती है उसी तरह कवि की पहचान उसकी चलती हुई लेखनी से होती है पंडित नरेन्द्र पाठक

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए