कभी उनका कभी अपने दिल का क़रार लिखते हैं ..!
अहसास एक सा ही है सब जिसे बार बार लिखते हैं ..!
ख़ुद की ही नही औरों की दास्ताँ भी रहती है शायद कहीं..
मरहम सा लगे जो ज़ख्मों पे ..हम ऐसे भी आशार लिखते हैं..!
हाले दिल जो कहा ना गया कभी ड़ाईरियों में छिपा दिया ..
ख़ुद ही पढ़ते हैं तो लगता है कभी बड़ा ही बेकार लिखते हैं..!
ये चिट्ठियाँ मेरी सम्भाल के रख लेना मेरे बाद काम आएँगी ..
जगह जगह बड़ों को आदर और छोटों को प्यार लिखते हैं ..!