सारी बस्ती हुई क़ातिलों की..
है कोई जो किसी के लिए दुआ कर दे ..!
मरे ज़मीरों में कोई साँस फूँक दे ,
ओर फिर से इंसानों को ज़िंदा कर दे …!
सहमा सा फिरता है हर शख़्स यहाँ,
मुस्कुरा उठे ये जमीं फिर से ,
इतनी इनायत बस ख़ुदा कर दे ..!
23 मार्च 2022
सारी बस्ती हुई क़ातिलों की..
है कोई जो किसी के लिए दुआ कर दे ..!
मरे ज़मीरों में कोई साँस फूँक दे ,
ओर फिर से इंसानों को ज़िंदा कर दे …!
सहमा सा फिरता है हर शख़्स यहाँ,
मुस्कुरा उठे ये जमीं फिर से ,
इतनी इनायत बस ख़ुदा कर दे ..!