लम्हे जो बीत गये ..
संजो लिए मैंने ..
कुछ हर्फ़ों में ..
कुछ दिल की ..
नर्म तहों में ..
उन तनहा ..
दिनों के लिए ..
जब इन्हें ओड़ के ..
सुख की नींद ..
सो जाएँगे ..!
5 अप्रैल 2022
लम्हे जो बीत गये ..
संजो लिए मैंने ..
कुछ हर्फ़ों में ..
कुछ दिल की ..
नर्म तहों में ..
उन तनहा ..
दिनों के लिए ..
जब इन्हें ओड़ के ..
सुख की नींद ..
सो जाएँगे ..!