हर दिन के अंत में
जब घर का रुख़ करते हैं परिंदे ,
परवाज़ में इक थकान नज़र आती है ..!
कोई राह देखता होगा क़हीं
कोई आवाज़ बुलाती है ..!
सुबह की चहचहाहट और
साँझ को ढलती ख़ामोशी ..
इस शामोंसहर में ही बस
इक उम्र गुज़र जाती है ..!
23 मार्च 2022
हर दिन के अंत में
जब घर का रुख़ करते हैं परिंदे ,
परवाज़ में इक थकान नज़र आती है ..!
कोई राह देखता होगा क़हीं
कोई आवाज़ बुलाती है ..!
सुबह की चहचहाहट और
साँझ को ढलती ख़ामोशी ..
इस शामोंसहर में ही बस
इक उम्र गुज़र जाती है ..!