मेरी नज़्म अधूरी है ..
बड़ी लम्बी उम्र है ज़ख्मों की यहाँ ..
फिर भी शिकवा कहाँ ज़रूरी है ..!
मर के भी जी गये हम ..
इनायत ख़ुदा की ..
दफ़ना डालने को मग़र ..
दुनियाँ की कोशिश पूरी है ..!
22 मार्च 2022
मेरी नज़्म अधूरी है ..
बड़ी लम्बी उम्र है ज़ख्मों की यहाँ ..
फिर भी शिकवा कहाँ ज़रूरी है ..!
मर के भी जी गये हम ..
इनायत ख़ुदा की ..
दफ़ना डालने को मग़र ..
दुनियाँ की कोशिश पूरी है ..!