जब ज़िंदगी उलझ जाए
तो कुछ ऐसा कीजिए ..
अश्क़ों के ताप से इस पत्थर दिल को
पिघला दीजिए ..!
औरों की हंसी से कर अपने ग़म की दवा
सब्र का प्याला ले घूँट घूँट पीजिए ..!
बंदों के बनाए ख़ुदा तो बहुत हैं यहाँ लेकिन
ख़ुदा के बनाए बंदों को दिल में जगह दीजिए …!
जमीं को बना के जन्नत जहाँ में
उठा के हाथ फिर आसमाँ की ओर देखिए ..!
बड़े सकूँ से गुजरेग़ा हर लम्हा
उस रब की ख़ुशी में यूँ अपनी ख़ुशी
मिला दीजिए ..!
कभी कभी दोस्तो
ज़िंदगी की उलझनें कुछ इस तरह भी
सुलझा के देखिए …!