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हैप्पी father’s डे तुम्हे मेरे बच्चे.

18 जून 2016

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हैप्पी father’s डे तुम्हे मेरे बच्चे.


जब तुम पैदा हुए, 

मैं तुम्हारा ही नहीं 

तुम्हारी मां का भी ‘बाप’ बना.
जब तुम गर्मी में झुंझला के 
मां के आँचल से चिपक जाते,
रात भर मेरे पंखे का झोंका दे,
या 
तुम्हारे हर एग्जाम में बाहर 
पहरा दे कई बार, कई बार उखड
मैं अर्दली, पहरेदार बना.
तुम्हारे आँखों के आंसू “इग्नोर”कर, 
उठाकर तुम्हे पहले दिन स्कूल ले जाते
या
डर लगा जब भी तैरने से ‘जहां भी’ तुम्हे,
धक्का मार हर कदम नज़र रख भी
मैं दुश्मन हर बार बना.
आज भी फ़ोन पर जब तुम 
घंटों मां से बतियाते हो,
मैं पेपर कि आड़ में कान लगा सब सुनता हूँ,
ताकि तुम सबकी मूवी के ‘हीरो’ बन सको,
इसलिए तुम्हारी हर मूवी का 
मोगेम्बो तो कभी डाकू शाकाल बना.
फ़ादर डे के दिन 
मुझे केक, बेंड, रिबन या वाच नहीं चाहिए,
बस चाहिए ये आसरा कि तुम समझो,
कि मैं अब बूढ़ा हो रहा हूँ.
तेरी मां और मेरा नया बाप बनने
और ये समझने के लिए,
हैप्पी father’s डे मेरे बच्चे.

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क्यूंकि माँ- तेरा 'सिर्फ एक' दिन नहीं हो सकता!

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हैप्पी father’s डे तुम्हे मेरे बच्चे.

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हैप्पी father’s डे तुम्हे मेरे बच्चे.जब तुम पैदा हुए, मैं तुम्हारा ही नहीं तुम्हारी मां का भी ‘बाप’ बना.जब तुम गर्मी में झुंझला के मां के आँचल से चिपक जाते,रात भर मेरे पंखे का झोंका दे,या तुम्हारे हर एग्जाम में बाहर पहरा दे कई बार, कई बार उखडमैं अर्दली, पहरेदार बना.तुम्हारे आँखों के आंसू “इग्नोर”कर,

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झूठ ही कह दो, सच हम मान लेंगे!

10 जुलाई 2016
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सुनो ज़रा !जैसे बारिश की बूँदें ढूंढें पता,गरम तपते मैदानों का.जैसे माँ के आने का देता था बता,सुन शोर पायल की आवाज़ों का.वैसे ही गर महसूस कर सको मुझे आज,बग़ल की खाली जगह पर,हर हसने वाली वजह पर,बिन बात हुई किसी जिरह पर.कह दो न,जैसे,तुम ‘झूठमूठ’ का कहते थे,और हम ‘सचमुच’ का मान लेते थे.जैसे,तुम कह देते थे

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याद सिर्फ सफ़र की होती है, मंजिल की नहीं!

7 अगस्त 2016
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याद सिर्फ सफ़र की होती है, मंजिल की नहीं! जानती हो- सुनो न! सुनो न! कहना, सुना देने से ज़्यादा अच्छा लगता है.... बार बार मिलने का बहाना, मिल लेने से ज़्यादा मज़ा देता है. ठीक वैसे ही, जैसे- बारिश के इंतज़ार में, लिखी नज़्म और कविता येँ, खुद, बारिश से ज़्यादा भीगी लगतीं हैं. बिलकुल जैसे- अधखिली कलि और उलझ

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