सागर की लहरें... न जाने … सागर की लहरें.... न जाने.... किस से मिलने की आस लेकर आती हैं... किनारे तक और जाती है, लौट वापस न जाने कितने ही तौहफे लेकर आती हैं अपने साथ ये लहरें... और फिर
रेत पर उकेरी गई आकृति,मेरा वजूद इतना सा ही कुछ समय का; कलाकार ने उकेरा बड़ी शिद्दत से,चित्रण कर दिया अपनी भावनाओं का।मैं बनी इतनी सुन्दर कि, मुझे मिटाने के लिए खड़े तैयार है दुश्मन;चलती हवा और लहरें पानी की,कर