24 जून 2022
गम का एक दिन हँसी-ख़ुशी के एक माह सा लगता है। दुःखी आदमी का समय सदा बहुत धीरे-धीरे कटता है।। हँसी-ख़ुशी टिकती नहीं वह पंख लगाकर उड़ जाती है। दर्द के मारे जागने वालों की रातें बहुत लम्बी होती है।।