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हँसी-ख़ुशी

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गम का एक दिन हँसी-ख़ुशी के एक माह सा लगता है।  दुःखी आदमी का समय सदा बहुत धीरे-धीरे कटता है।। हँसी-ख़ुशी टिकती नहीं वह पंख लगाकर उड़ जाती है। दर्द के मारे जागने वालों की रातें बहुत लम्बी होती है।।

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