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सुख-दुःख

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गम का एक दिन हँसी-ख़ुशी के एक माह सा लगता है।  दुःखी आदमी का समय सदा बहुत धीरे-धीरे कटता है।। हँसी-ख़ुशी टिकती नहीं वह पंख लगाकर उड़ जाती है। दर्द के मारे जागने वालों की रातें बहुत लम्बी होती है।।

ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो दुःख और रोग से अछूता रहता है।  थोड़ी देर का सुख बहुत लम्बे समय का पश्चाताप होता है ।। एक बार कोई अवसर हाथ से निकला तो वापस नहीं आता है।  दूध बिखरने के बाद रोने-चिल्लाने से क

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