युवा रंगकर्मी पिछले चालीस वर्षों से, स्कूल-कॉलिजों के वार्षिक उत्सवों के अवसर पर, हास्य-एकांकी में संग्रहित एकांकी अभिमंचित कर दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। हास्य-एकांकी जब मंचस्थ होते हैं, तो दर्शक मुस्कुराते हैं; खिलखिलाते हैं; हँसते-हँसते अपनी सीट पर उछल जाते हैं; हँसते-हँसते लोट-पोट होने लगते हैं। हास्य-एकांकी (संग्रह) के सभी एकांकी सहजता और सरलता से मंचस्थ हो सकते हैं। इनको अभिमंचित करने के लिए न तो बहुत तामझाम की आवश्यकता है, और न बहुत जटिल दृश्यबंध (सेट्स) की; और न कठिन उलझे संगीत या रंगदीपन की। Read more