काल्पनिक कहानियों की एक श्रृंखला लिख रहा हुँ जिस में सभी कहनियाँ काल्पनिक है पर हमेशा कुछ ना कुछ प्रेरणा जरूर देंगी काल्पनिक कहानियों के मुख्य पात्र से मिलता हुँ मैं आपको एक ऐसी व्यक्ति से मिलाता हूं जिसका नाम हल सिंह है। वह बहुत बुद्धिमान आदमी है वह अपने दिमाग से हर समस्या को हल कर देता है। वह हमेशा गरीबों की मदद करता है। पर वह किसी गलत आदमी की कभी मदद नहीं करता है छोटी बड़ी सभी समस्याओं को हल कर देता है यदि किसी के पास कोई समस्या होती है तो वह अपनी समस्या लेकर उसके पास जाता है हल सिंह का अपने विवेक से समस्या को हल कर देता है हल सिंह का नाम गांव के अलावा आसपास के पूरे क्षेत्र में उसका नाम है। उसके साथ उसकी मदद उसका एक चेला करता है जिसका नाम कलुआ है चलिए आज की कहानी शुरू करते हैं आज की कहानी का नाम है हल सिंह और जलेबी ===================================एक दिन हल सिंह बाजार जा रहे हैं रास्ते में उनका खास चेला कलुआ मिल गया कलुआ हल सिंह को देखकर उसके पास जाकर पैर छूकर कहता है "राधे-राधे" हल सिंह खुश हो कर कहता है "अरे राधे राधे कलुआ कैसे हो" कलुआ हंस के कहता है "हल सिंह भैया ठीक हूं" हल सिंह कलुआ से कहते हैं "अरे कलुआ आज तेरी भाभी से झगड़ा हो गया सुबह-सुबह राशन पानी लेकर मुझ पर चढ़ पड़ी " यह सुनकर कलुआ कहता है" तो हल सिंह भैया फिर तुमने क्या किया क्या भाभी के संग मारपीट कर दी " यह सुनकर हल सिंह कहते हैं "अब धीरे से बात कर कोई सुन ना ले यह बातें किसने सुन ली तो घर का दरवाजा भी बंद हो जाएगा" कलुआ कहता है "तो भैया फिर तुमने क्या किया" हल सिंह जोर से बोलता है "मैंने अपने कपड़े पहने पास में रखा एक डंडा डंडा उठाया" कलुआ हंस कर कहता है "फिर तो भाभी में मार दिया होगा डंडा" हल सिंह कहता है "अब चुप कर " कलुआ सिंह मुंह को बनाते हो कहता है" फिर आपने क्या किया" हल सिंह जोश से कहते हैं "मैंने डंडा उठाया दरवाजा खोला और सीधा भाग आया " कलुआ कहता है" क्या हल सिंह भैया आप भी अपनी पत्नी से बहुत डरते हैं हमारा गांव क्या पूरे से आसपास के गांव वाले जानते हल सिंह बहुत बहादुर है और अपनी जुगाड़ से लोगों की मदद करता रहता है और वही हल सिंह अपनी पत्नी से डरता है" हल सिंह कलुआ को डांटे हुए कहता हैं "अबे चुप हो जा धीरे से बात कर किसी को पता ना चल जाए वरना इज्जत की अर्थी निकल जाएगी " कलुआ मुंह नीचे करके कहता है "ठीक है भैया जैसे आपकी मर्जी मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा आप घर से भागो या भूखे रहो पर आपकी हालत देखकर तो यह तय हो गया कि मैं शादी नहीं करूंगा" हल सिंह डांट कर कहता है "अब चुप कर ज्ञानी को ज्यादा ज्ञान मत दे यह बता मुझे बहुत तेज भूख लग रही है भूख की व्यवस्था कहां पर हो जाएगी" कलुआ उदास होकर कहता है:" भैया मेरी जेब में भी एक रुपया नहीं है जो मैं आपको कुछ खिला दूं पर मेरे दिल में आपके लिए बहुत जगह है" हल सिंह गुस्से से कहता है "तो क्या उसे जमीन पर मकान बना लूं अच्छा चुप हो जा खाने की मुझे कुछ जुगाड़ बनाने दे " ========================================== दूसरा सीन =================== एक आदमी मुंह नीचे लटकाए वह उदास होता चला रहा है और बड़बड़ाता बोल रहा है" यह ऊपर वाले से हलवाई का बुरा करना आज उसने मेरे साथ धोखा किया है क्योंकि मैं तो गरीब हूं उसको सबक सीखा नहीं सकता हूं पर ऊपर वाले तो उसको जरूर सबक सिखाना" यह कहता हुआ चला जा रहा है उसकी बात है हल सिंह और कलुआ राम सुन लेते हैं कलुआ उसे आवाज लगाकर बुला लेता है हल सिंह उससे पूछता है "क्या हो गया है जो इतना बड़बड़ाता हुआ चला जा रहा है" आदमी रोते हुए कहता है "मैं हल सिंह भैया के पास जा रहा हूं उनसे शिकायत करूंगा पर मैं कैसे पहुंचूं मैं तुमको पहचानता भी नहीं हूं" कलुआ कहता है "तुम इस गांव की तो नहीं लगते हो कहां से आए हो" आदमी रोते हुए कहता है" भैया मैं दूसरे गांव से आया हूं मेरी जेब में ₹50 थे तो मैंने सोचा ₹10 की जलेबी खा लूं मैं हलवाई से ₹10 की जलेबी मांग कर खाने लगा भीड़ ज्यादा थी मैंने जलेबी खाकर उससे पूछा तो उसने कहा तुमने ₹50 की जलेबी खाई है पर मैंने कहा मैंने तो ₹10 की जलेबी खाई है पर उसने मेरे संग मारपीट करके मेरे ₹50 छीन लिए अब मैं अपने गांव भी कैसे जा पाऊंगा अब मेरे पास किराए के लिए पैसे नहीं है इसलिए मैं हल सिंह जी से शिकायत करने जा रहा हूं किसी ने उनका नाम बताया है " यह सुनकर हल सिंह कहता है "ले भाई कलुआ भूख का इंतजाम हो गया आप तो हलवाई की जलेबी खाने मिलेगी" हल सिंह आदमी से कहता हैं "भाई तुम यहां पर बैठो 1 घंटे बाद हम आएंगे और तुम्हारे पैसे तुम्हें वापस मिल जाएंगे पर बाहर जाकर हमारे गांव की बुराई किसी और से मत करना"
हल सिंह और कलुआ वहां से चले जाते हैं वह आदमी वहां पर बैठ जाता है ===========================================≠==तीसरा सीन ================ हलवाई जलेबी बेच रहा है चेहरे से बहुत शैतान लग रहा है हलवाई की शक्ल देखकर कलुआ के कान में हल सिंह कुछ कहता है कलुआ भी हां में हां मिलाकर हंसने लगता है दोनों हलवाई के पास पहुंच जाते हैं हलवाई हल सिंह को देखकर घबराकर अपने हाथ जोड़कर कहता है "राधे-राधे हल सिंह जी आज तो हमारे भाग्य खुल गए जो आप हमारी दुकान पर आ गए" कलुआ मुंह बनाकर कहता है "लगता अब तुम्हारे भाग्य के रास्ते भी बंद हो जाएंगे" हल सिंह हलवाई से कहता है " भाई आज एक आदमी चौराहे पर खड़े होकर कुछ बड़बड़ा रहा है और एक चिट्ठी लिख रहा है मैं उसके पास गया तो उसने बताया है कि पास में हलवाई जलेबी बेच रहा है और जलेबी में एबीसीडी विटामिन नहीं है इसलिए इसकी शिकायत बड़े अधिकारी से करके उसकी जलेबी बेचना बंद करा दूंगा" यह सुनकर हलवाई अपना सर पकड़ लेता हैं कहता है" हल सिंह भैया ये एबीसीडी विटामिन क्या होता है" तभी कलुआ कहता है "यह तो हमारे हल सिंह भैया ही बता पाएंगे क्योंकि यही दिमाग से बहुत तेज है" हल सिंह मुंह बनाकर कहते हैं" एबीसीडी विटामिन से शरीर को ताकत मिलती है और मुझे लगता है तुम्हारी जलेबियां से ताकत नहीं मिल रही है इसलिए वह आदमी तुम्हारी शिकायत बड़े अधिकारी से करने जा रहा है और यदि बड़ा अधिकारी आगे तो तुम्हारी जलेबी बेचना बंद हो जाएगा" तभी कलुआ बोलता है" पहले जलेबी मुझे और हल सिंह भैया को खिलाओ तब पता चलेगा वह आदमी झूठ बोला है या सच " हलवाई तुरंत दोनों में दोनों को जलेबी देता है दोनों बड़े प्रेम से जलेबी को खाते हैं खाने के बाद हल सिंह कहता है" मुझे लग रहा है वह आदमी सही कह रहा है तुम्हारी जलेबी एबीसीडी की ताकत नजर नहीं आ रही है अब तो तुम्हारी सारी जलेबियां खारिज हो जाएगी और तुम्हारी दुकान बंद हो जाएगी"
हलवाई घबरा के हाथ जोड़कर कहता हैं "भैया मेरी दुकान को कैसे भी बचा लो और आगे से जलेबी में एबीसीडी विटामिन कैसे लाऊं यह बताओ ताकि मेरी जलेबियां से ताकत बनी रहे" कलुआ सिंह कहता है "ठीक है तो एक काम कर ₹40 हमें दे हम उसे आदमी को देंगे और उसे मानेंगे तो चिट्ठी बड़े अधिकारी को नहीं लिखेगा और हल सिंह भैया तुझे एक फार्मूला कागज पर लिख कर देंगे उसको पढ़कर जलेबी में डाल देना फिर तेरी जलेबी में एबीसीडी की ताकत आ जाएगी" हलवाई तुरंत अपने गल्ले में से ₹40 निकालकर कलुआ के हाथ रख देता है हल सिंह चिट्ठी लिखकर एक पर्ची बनाकर हवाई के हाथ में रखता हूं कहता है "जब हम चले जाएं तो उसको पढ़ कर जलेबी में यह फार्मूला मिल लेना तुम्हारी जलेबी में एबीसीडी की ताकत आ जायेगी " हलवाई पर्ची ले लेता है हाथ जोड़कर राधे राधे करता है दोनों वहां से चले आते हैं
====================================================================== आदमी पत्थर पर बैठकर इंतजार कर रहा है तभी हल सिंह और कलुआ आ जाते हैं कलुआ 40 रूपये आदमी के हाथ पर रख देता है ₹40 देखकर आदमी खुश हो जाता है हाथ जोड़कर कहता है "आप दोनों का बहुत-बहुत धन्यवाद आप दोनों ने मेरी मदद की " हलसिंह उसके कंधे पर हाथ रख कहता है "जब तक इस गांव में हल सिंह की समस्या हल करने की ताकत है तब तक किसी गरीब को कोई सता नहीं पाएगा पर भाई तुमसे भी प्रार्थना है यह बात किसी को मत बताना वरना विश्वास की डोर कमजोर हो जाती है " अरे आदमी ऊपर वाले की ओर देखकर हाथ जोड़कर कहता है मैं तो हल सिंह को ढूंढने गया था हल सिंह भगवान आप ने ही भेज दिए भगवान आपका बहुत-बहुत धन्यवाद " वह आदमी चला जाता है तभी हल सिंह के मोबाइल पर फोन आता है हल सिंह फोन उठाते हैं उनकी पत्नी का फोन होता है उधर से आवाज आती है" कहां पर हो जल्दी घर पर आओ नाश्ता तैयार है जलेबियां का" हल सिंह घबरा कर कहते हैं "अच्छा ठीक है मैं आ रहा हूं" कलुआ सिंह हंस के कहता है" जाओ हल सिंह भैया तुम्हारा नसीब में आज जलेबी ही जलेबी हैं" हल सिंह हंसता हुआ घर की ओर चला जाता है कलुआ अपने घर की ओर मुड़ जाता है =================================== ==========पांचवा सीन================ जुगाड़ू सिंह के जाते हलवाई पर्ची को खोलता है पर्ची पर लिखा होता है उसमें ₹20 रखे हुए हैं और उसमें लिख रहा है "अपनी जलेबियां में हमेशा ईमानदारी और प्रेम को बनाकर रखें बेईमानी से जलेबी की ताकत चली हैं जाती है तुम्हारे ₹40 इस आदमी को वापस किए जा रहे हैं जिस आदमी से तुमने बेईमानी से कमाए थे आगे से किसी के साथ बेईमानी नहीं करनी है" हलवाई का नौकर हलवाई से पूछता है "क्या हुआ मालिक" हवाई मुंह बना कर कहता है "कुछ नहीं हल सिंह जी अपनी बुद्धिमानी से एक समस्या हल कर गया और कुछ सबक सीखा गये हैं "