सबला नारी वहा तुम्हारी यही कहानी
हाथों में स्कूटी और घर में नोकरानी
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प्रदूषण पटाखों से नहीं दिवाली के पटाखों से होता है
और सरकार आप की न हो तो पराली से भी होता है
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मेरे शहर की महंगाई का आलम तो देखिये जनाब
5 रुपये का केला महँगा और 5 रुपये का गुटखा सस्ता लगता है
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कहीं से तोड़ो, कहीं से टूट रहा है
ये दिल है या नारियल का टुकड़ा है
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मत्स्य जलम रानी,
जलम तस्य प्राणम,
हस्त स्पर्शम भयभीतम,
निष्कासितम देह त्यागम
सभी रचनायें : स्व रचित