संस्मरण
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1997 में (11वी क्लास में) मैंने पहली बार इलेक्ट्रॉनिक टाइप राइडर देखी थी। हमारे घर पर सादा टाइप राइड
सन 2000 में मैंने एक फ़िल्म देखी थी-स्टूअर्ट लिटिल टू , जिसमें सफेद चूहा था। मैं कई साल तक इसे असली स
जून 1999 तक मैने 2डी वीडियो गेम खेले थे। जिसमें मारियो, कॉनट्रा आदि चलते थे। स्ट्रीट फाइटर, फाइनल फा
<div>मेरा छोटा भाई (कजन) एक खिलौना लेकर आया था। इसमे एक या दो गानों के बोल (मुखड़े) बजते थे। मेरे पास
अप्रैल 2004 में रिलायन्स ने 500 रुपये का फोन निकाला था। इसके बाद रिक्शेवालों के पास भी मोबाइल फोन मि
2004 में मुझे pg1 ईयर के लिए ऐसाइंटमेन्ट बनाकर जमा कराना था। इसके लिये मुझे कई किताबें पढ़नी पड़ी। पुस
1998 के आप-पास कोडेक ने 850 रुपये का कैमरा निकाला था। इसके बाद लोगों ने घरों में फोटो खींचने शुरू क
साल 1994-95 में दूरदर्शन ने दो नये धारावाहिक की शुरुआत की थी। एक था शान्ति, जो पहले आने वाले पारिवार
अक्टूबर 1997 की बात है मेरा एक सहपाठी मुझे लेकर अपने किसी मित्र से मिलने गया था। उसके घर पर केवल टीव
जुलाई 1997 में पाप की ड्यूटी कुंभ मेले में लगने के कारण हम लोग हरिद्वार आ गये थे। पापा का हरिद्वार म
अपने भतीजे के खिलौने देखकर लगा कि 2008 तक यह बाजार कितना बदल गया है। 1997 तक कोई इन खिलोनो के बारे म
1997 में मैं दिवाली बनाने मौसी के आया था। तब सभी घरों में दिवाली की लगभग एक जैसी सजावट थी। सभी के घर
<div>फ़रवरी 2020, आज उसी मैक डोनल्ड में जाने का मौका मिला। यहाँ आकर 15 साल पुरानी याद ताजा हो गई। सन
हरिद्वार में हमने एक छोटा ताला खरीदा था। लगभग डेढ़ साल बाद उसकी चाभी हरिद्वार में कहीं खो गई। फिर वो
1990 में दूरदर्शन पर दोपहर में क्राफ्ट बनाने का कार्यक्रम आता था। इसकी लोकप्रियता का पता इसी से चलता
बचपन में हमारे पास खेलने के मुख्यतः तीन विकल्प थे चाभी वाले खिलौने, जन्माष्टमी के खिलौने और चूरन की
आजकल क्रेक्स के साथ फ्री गिफ्ट मिलते हैं। पहले साल में एक या दो चीजें ही बाजार में आती थी जिनके साथ
बात मार्च 1998 की है, हरिद्वार में आज कुंभ का शाही स्नान था। इसलिए पूरे मेला क्षेत्र में किसी भी वाह
दौड़....मैं अपनी जिंदगी में दो बार दौड़ा हूँ। जिन्हें भूलना थोड़ा मुश्किल है। एक बार 1998 में जब हमें द
Bsnl को छोड़कर सभी फोन कम्पनियों ने अपने रेट बढ़ा दिये। इसी पर चर्चा करते-करते मुझे फोन की पुरानी बातें याद आ गई। 1997 की बात है हमारे घर के पास एक pco खुला। इससे पहले हमें फोन करने के लिए थोड़ी दूर जाना
2011 की बात है मेरे एक दोस्त ने मुझे फोन करके साइबर कैफे पर बुलाया। वो काफी टेंशन में था। मेरे पूछने पर उसने बताया कि 3 दिन से उसके फेसबुक पर कोई कमेंट व लाईक नहीं आया है। 2004 में pg में एसाइनमेंट के
मैं कम्प्यूटर पर काम कर रहा था बगल की खिड़की में मेरी किताबें चुनी रहती थीं। उन क़िताबों के बीच में एक छोटी सी चुहिया झाँक रही थी, वो मुझे ही देख रही थी। मैंने हाथ से उसे भगाया तो वह किताबों के बीच में
मामा जी की जान पहचान में किसी की शादी थी। मेरा मामा जी का लड़का मुझे जबरदस्ती उस शादी में ले गया। हम दोनों बाईक से वहाँ पहुँचे। वहाँ पहुंच कर थोड़ी देर बाद हम दोनों उस शादी में खाने के मजे लूट रहे थे। म
मेरी बीएड की प्रवेश परीक्षा थी। मेरा सेंटर जी आई सी में पड़ा था। वहाँ में पेपर देने के लिए एक बड़े से हॉल में बैठा था। मेरी बेंच पर दूसरी साईड एक लड़की बैठी थी। पेपर देने के बाद उससे मेरी बात हुई थी। उसन
मैंने जब होश संभाला तब हमारे घर में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी था। उस समय कई लोगों पर लकड़ी के शटर वाले टीवी थे। कई लोग टीवी पर प्लास्टिक की रंगीन स्क्रीन लगाकर उसे रंगीन टीवी बना लेते थे। ये स्क्रीन पारदर
90s में हमारे पास गानों के लिए दो ही विकल्प थे, गाने देखने हो तो चित्रहार और गाने सुनने के लिए कैसेट। चित्रहार के अलावा गाने देखने के लिए कुछ लोग अपने घर में किराए पर vcr या vcp लाया करते थे। इसके बाद
2019 की बात है, मेरा भतीजा मुझे गेम खेलने के लिए दुकान पर ले गया। मैं कई सालों बाद वीडियो गेम पार्लर पर गया था। इससे पहले मैं अपने मामा जी के बच्चों के साथ जाता था जो वहाँ 'टेकन3' खेलते थे। इस दुकान प
2012 के आसपास की बात है, मेरे ममेरे भाई ने मुझसे कहा कि फिल्म देखने चलेंगे। नुमाइश में 4डी थियेटर आया हुआ है। 1998 में एक फिल्म आई थी छोटा जादूगर। तब स्कूल में बच्चे 3डी फिल्म की बात करते थे। वो बताते