यदि पुरुष स्त्री को अपनी बाहों में लेना चाहता हैं,
तो उसका तात्पर्य केवल वासना मात्र ही नहीं हो सकता हैं...
कई दफा इसका अर्थ होता हैं,
वह स्त्री की आत्मा को स्पर्श करना चाहता हैं...
उस स्त्री के मन को टटोलना चाहता हैं,
जो अथाह प्रेम को अपने मन में दबा लेती हैं...
वह अपने सीने से लगा कर स्त्री के आँसुओं को
प्रेम से सोख लेना चाहता हैं...
उस स्त्री के सूखे वीरान पड़े जीवन को
प्रेम की बारिशों में भिगो देना चाहता हैं...
यह वासना नहीं हैं,
उस पुरुष का अथाह समर्पण हैं,
उस स्त्री के लिए
जिसे वह हृदय से प्रेम करता हैं...!!