बगुला और सांप की कहानी - अनीश और अमित
एक बार एक सुंदर व सुशील लड़का था, जिसका नाम अनीश था । वह बहुत ही नेक और ईमानदार और दयालु था । वह सदा पढ़ाई में आगे रहता था । वह सभी गुरुजनों, अपने माता - पिता और बड़ों का सम्मान करता था, क्योंकि उसे बचपन से ही माँ - बाप और दादा - दादी से अच्छे संस्कार मिलें थे । दादा - दादी उसे बचपन से ही वीर पुरुषों और धार्मिक ग्रन्थों की कहानियाँ सुनाया करते थे । इससे गाँव के सभी लोग उससे बहुत प्रेम करते थे और उसकी पीठ पीछे सराहना करते थे ।
अनीश एक दिन कहीं बाहर घूमने जा रहा था । घूमते - घूमते वह दोस्तों के साथ खेतों की ओर निकल गया । तभी उसने देखा कि पास में बने चैक डैम के किनारे एक बगुला बैठा हुआ एक ओर टक - टकी लगाए देख रहा था । राहुल ने रुक - कर ध्यान से देखा तो पता चला कि बगुला एक सांप की ओर देख रहा है । सांप भी फन उठाए बगुले की ओर देख रहा था । लेकिन न तो सांप भाग पा रहा था और न ही बगुला - सांप को पकड़ने की हिम्मत जुटा पा रहा था । अनीश अपने दोस्तों के साथ बहुत देर तक देखता रहा ।
जब अधिक देर हो गयी, तब अनीश ने अपने दोस्त अमित से कहा कि - "अमित ! बहुत देर हो गयी है । हमें बगुला को भगा - कर सांप की जान बचाना चाहिए, अन्यथा बगुला सांप को मार - कर खा जायेगा ।"
अमित बोला - "सांप, मछली आदि जीव - जन्तु तो बगुले का भोजन है । हमें किसी का भोजन नहीं छीनना चाहिए ।"
अनीश ने जबाव दिया कि - "अगर सांप के भाग्य में मौत लिखी होती तो यह कभी का बगुले का शिकार हो गया होता । यह सांप हमारे आने तक जीवित नहीं रहता । हमें इसको बचाना होगा ।" ऐसा कह - कर राहुल ने पास में लगे पौधे से एक डंडा तोड़ा और बगुले को वहाँ से भगाया । बगुले के उड़ते ही सांप तुरन्त वहाँ से हट गया और जल्दी से एक ओर जाकर छिप गया । बगुले ने वहाँ आने की बहुत कोशिश की, लेकिन अनीश ने उसे वहाँ आने नहीं दिया । कुछ देर बाद सांप वहीं पास में एक बिल में घुस गया । अब अनीश निश्चिंत हो गया और दोस्तों के साथ खेतों की ओर चला गया । वहाँ जाकर उसने हरी - हरी मटर की फलियाँ तोड़ी और उन्हें ईंधन इकठ्ठा कर आग पर भूना । आग पर भूनने के बाद सभी दोस्तों सहित अनीश ने मटर की भुनी हुई फलियाँ खायीं और फिर शाम होने के पहले ही घर लौट आया । जब अनीश ने सांप और बगुले का घटना - क्रम सभी घर - वालों को सुनाया तो सभी घर - वाले खुश हुए और साथ ही उसे ऐसे मामलों में सावधानी बरतने को कहा ।
संस्कार सन्देश :- हमें जीवों पर दया करनी चाहिए, साथ ही सावधानी भी बरतनी चाहिए ।