बिखरा हूँ मैं, ताश के जैसे
जिन्दा तो हूँ, लाश के जैसे
लोग मारते, कुछ तो पत्थर
कुछ पत्थर, ठुकरा देते हैं
जां लेने पर, तुले हो मेरी
लो हम खुद ही, जां देते हैं
जख्म हरे मेरे, घास के जैसे
बिखरा हूँ मैं, ताश के जैसे
जिन्दा तो हूँ, लाश के जैसे
कितना प्यार है, मुझको तुमसे
मैं जानूं मेरा, रब जाने है
तुम अनजान, बने फिरते हो
सबको पता है, तू सब जाने है
दूर है तू, आकाश के जैसे
बिखरा हूँ मैं, ताश के जैसे
जिन्दा तो हूँ, लाश के जैसे
मेरी चाहत, मुझे मुबारक
वो क्या था जो, तू करती थी?
मेरे वादे, मैं रख लूंगा
कुछ वादे, तू भी करती थी
टूटे वादे, कांच के जैसे
बिखरा हूँ मैं, ताश के जैसे
जिन्दा तो हूँ, लाश के जैसे
आँखों की वो, आँख मिचोली
ख्वाब देखना, राहें तकना
एक बार, मुझको बतला दो
क्या वो सब, भी झूठा था?
रुक सा गया है, वक्त भी ऐसे
रुकी हुई एक, सांस के जैसे
बिखरा हूँ मैं, ताश के जैसे
जिन्दा तो हूँ, लाश के जैसे
कोई बोला, बंदा झूठा
कोई बोला, कांच था टूटा
लोगो को, कैसे समझाऊ
जो टूटा, मेरा दिल था टूटा
आह थी निकली, काश के जैसे
बिखरा हूँ मैं, ताश के जैसे
जिन्दा तो हूँ, लाश के जैसे