एक दिन वह भी आएगा,
जब सपनों का आकार होगा।
वह सुख-शांति का सागर होगा,
जो हमें अंतर्मन से आवाज़ देगा।
एक दिन वह भी आएगा,
जब समृद्धि की मिठास बिखरेगी।
सभी दरियाओं को लहराएगा,
अपने प्यार की बहार लेकर आएगा।
वह दिन आएगा, जब
खुशियों के उस बाराती के साथ,
सारे दुःख दरिया में बह जाएंगे,
सबका मन हंसता हुआ गायेगा।
एक दिन वह भी आएगा,
जब स्वप्नों की उड़ान सच होगी।
हर इच्छा पूरी होगी,
हर सपना साकार होगा,
बिना किसी विलम्ब के।
वह दिन आएगा,
जब हर इंसान को सम्मान मिलेगा,
सभी बंधनों को तोड़कर,
मन की आज़ादी मिलेगी,
सुख की आज़ादी मिलेगी।
एक दिन वह भी आएगा,
जब सूरज की किरणों में,
हर इंसान की खुशियाँ झलकेंगी,
सबका मन सजग होगा।
वह दिन आएगा,
जब विश्वास और आत्मविश्वास का
महत्व समझा जाएगा,
हर इंसान अपने सपनों को
पूरा करने के लिए, अग्रसर हो जाएगा।
एक दिन वह भी आएगा,
जब नया सवेरा होगा।
जिंदगी की नई कहानी लिखी जाएगी,
नए उत्साह से हर दिल भरा होगा।
वह दिन आएगा,
जब हर सपना
हकीकत में बदलेगा,
सभी आशाएं पूरी होंगी,
और सभी की कहानी
सफलता की राह पर बढ़ेगी।
-अशोक कुमार पचौरी
(जिला एवं शहर अलीगढ से)