ढूंढा तुमको मैंने,
यहाँ वहां न जाने कहाँ,
कुछ लोगों से पूंछा,
तेरे मिलने का ठिकाना,
कुछ ठिकाने भी ढूंढे,
जहाँ तुम मिला करते थे,
जहाँ तुम मिला करते थे,
वहां तुम मिले नहीं अरसो से,
नए ठिकानों पर भी,
नहीं गए हो वर्षो से,
कुछ अता-पता मिल जाता,
तो अच्छा होता,
दो चार बातें होजाती,
एक मुलाकात हो जाती,
शायद कोई अच्छी बात होजाती।
- अशोक कुमार पचौरी
(जिला एवं शहर अलीगढ से)