shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

इंतज़ार ए इश्क़ by laxmi singh

Author laxmi singh

0 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

जाने वाले को कभी रोक नहीं सकते हैं वास्तव में ये बहुत दु:खद घटना है लेकिन कभी - कभी मुझे लगता है कि तय समय पर ना लौटना उससे भी दु:खद होता है एक समय के बाद सब कुछ बदल जाता है जिस शहर में हम रहते हैं वो भी कल छुट जायेगा, यह भी हो सकता है जो लोग हमारे दिल के सबसे करीब है वो कल हमारे जीवन का कोई हिस्सा न रह जाये ! मरे हुए लोग लौट कर नहीं आते और जिन्दा होकर लोग नहीं लौटने की मिसाल कायम किये हुए हैं वास्तव में लौटना इस संसार की सबसे सुखद क्रिया है जैसे चिड़ियों का शाम को घोसले मे वापस लौट आना , एक प्रेमिका जो अपने प्रेमी से बिछड़ गयी है और उसके वापस आने का इंतजार कर रही उसके पास उसके यादों के अलावा उसकी एक आखिरी तस्वीर जो उसके पास रह गई है और उसी तस्वीर और यादों के सहारे वो अपना जीवन गुजार रही इंतज़ार करना सबसे कठिन काम है , वह चाहे किसी शख़्स का हो या किसी परिक्षा के परिणाम का हो, किसी इंसान के लौट आने का हो या किसी भी चीज़ का हो ! दिन से शाम हो रही और जिंदगी यूँ ही तमाम हो रही ऐसा कह सकते हैं कि उसने अपने उम्र का एक हिस्सा गुजाऱ दिया है उसके इंतज़ार में लेकिन वो आज तक वापस नहीं आया वो ऐसे सवालों में उलझी रही जहां से वह निकल नहीं पा रही थी और ना ही उसे कोई निकालने आ रहा था। उसका जीवन उस तक ही सीमित चल रहा था उसकी आवाज उस तक ही सिमट कर अपना दम तोड़ रही थी जिससे वह अनभिज्ञ थी। कुछ अधूरे ख्वाबों को लिए आंखों में वह कुछ सपने सजाए बैठी थी। हाथों में चाय की प्याली लिए उसके सामने जाकर अपने प्यार की कुछ मिठास बोल कर उसे पिलाना चाहती थी और छड़ मात्र उसकी आंखों में निहारना चाहती थी। लेकिन वक्त को यह मंजूर न था अधूरे ख्वाब अधूरे ही रह गए पूरे ही ना हुए कभी। और कैसे वह कह दे कि उसे मिठास बहुत पसंद है जिसके जीवन में कड़वाहट ही कड़वाहट भरी हो? असल में उसकी जिंदगी के कुछ अलग ही मायने थे। जिसे वह चाह कर भी अपना नहीं पा रही थी। कुछ यादें कुछ बातें कुछ। मानों के उसके जीवन में द्वंद चल रहा था। जिसे वह चाह कर भी जीत नहीं पा रही थी जिंदगी का हर दांव वह हारती ही जा रही थी। रिश्तो की एक ऐसी दीवार जो देखने में बेहद ही खूबसूरत थी लेकिन वह अंदर से इतनी जर्जर थी कि कोई हाथ लगा दे तो वह टूट के बिखर जाती। जिंदगी के असली मायने वह समझ ही नहीं पा रही थी ________ लक्ष्मी सिंह  

intjaar e ishka by laxmi singh

0.0(0)

पुस्तक के भाग

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए