धन्य हुई मैं आज, धन्य है
सखि सौभाग्य हमारा ।
जिसकी थी इच्छुका, मिला है
सुझे समय वह प्यारा ॥
माँ की वेदी पर बलि होने-
का शुभ अवसर आया।
जन्म सफल हो गया; आज ही
मैंने सब कुछ पाया ॥
विदा माँगती हूँ मैं सब से
लो, देखो, हूँ जाती।
क़ौमी झण्डे की इज़्ज़त में
हूँ यह शीश चढ़ाती ॥