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विदाई

4 मार्च 2022

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कृष्ण-मंदिर में प्यारे बंधु
पधारो निर्भयता के साथ।
तुम्हारे मस्तक पर हो सदा
कृष्ण का वह शुभचिंतक हाथ।


तुम्हारी दृढ़ता से जग पड़े

देश का सोया हुआ समाज।
तुम्हारी भव्य मूर्ति से मिले
शक्ति वह विकट त्याग की आज।


तुम्हारे दुख की घड़ियाँ बनें

दिलाने वाली हमें स्वराज्य।
हमारे हृदय बनें बलवान
तुम्हारी त्याग मूर्ति में आज।


तुम्हारे देश-बंधु यदि कभी

डरें, कायर हो पीछे हटें,
बंधु! दो बहनों को वरदान
युद्ध में वे निर्भय मर मिटें।


हजारों हृदय बिदा दे रहे,

उन्हें संदेशा दो बस एक।
कटें तीसों करोड़ ये शीश,
न तजना तुम स्वराज्य की टेक।  

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रचनाएँ
'मुकुल (कविता-संग्रह)
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सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म प्रयाग में ठाकुर रामनाथ सिंह के घर हुआ। शिक्षा भी प्रयाग में ही हुई। सुभद्रा कुमारी बाल्यावस्था से ही देश-भक्ति की भावना से प्रभावित थीं। इन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। विवाह के पश्चात भी राजनीति में सक्रिय भाग लेती रहीं। दुर्भाग्यवश मात्र 43 वर्ष की अवस्था में एक दुर्घटना में इनकी मृत्यु हो गई। इनकी रचनाएँ हैं- 'मुकुल (कविता-संग्रह), 'बिखरे मोती (कहानी संग्रह), 'सीधे-सादे चित्र और 'चित्रारा। 'झाँसी की रानी इनकी बहुचर्चित रचना है। इन्हें 'मुकुल तथा 'बिखरे मोती पर अलग-अलग सेकसरिया पुरस्कार मिले।
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फूल के प्रति

4 मार्च 2022
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 डाल पर के मुरझाए फूल!हृदय में मत कर वृथा गुमान।नहीं है सुमन कुंज में अभीइसी से है तेरा सम्मान।मधुप जो करते अनुनय विनयबने तेरे चरणों के दास।नई कलियों को खिलती देखनहीं आवेंगे तेरे पास।सहेगा कैसे वह अपम

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मुरझाया फूल

4 मार्च 2022
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 यह मुरझाया हुआ फूल है,इसका हृदय दुखाना मत।स्वयं बिखरने वाली इसकीपंखड़ियाँ बिखराना मत।गुजरो अगर पास से इसकेइसे चोट पहुँचाना मत।जीवन की अंतिम घड़ियों मेंदेखो, इसे रुलाना मत।अगर हो सके तो ठंडीबूँदें टपक

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कलह-कारण

4 मार्च 2022
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 कड़ी आराधना करके बुलाया था उन्हें मैंने।पदों को पूजने के ही लिए थी साधना मेरी।तपस्या नेम व्रत करके रिझाया था उन्हें मैंने।पधारे देव, पूरी हो गई आराधना मेरी।उन्हें सहसा निहारा सामने, संकोच हो आया।मुँद

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चलते समय

4 मार्च 2022
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 तुम मुझे पूछते हो ’जाऊँ’?मैं क्या जवाब दूँ, तुम्हीं कहो!’जा...’ कहते रुकती है जबानकिस मुँह से तुमसे कहूँ ’रहो’!!सेवा करना था जहाँ मुझेकुछ भक्ति-भाव दरसाना था।उन कृपा-कटाक्षों का बदलाबलि होकर जहाँ चुक

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भ्रम

4 मार्च 2022
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 देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था।देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था।देवता थे, देखते ही बन गई थी भक्त मैं।हो गई उस रूपलीला पर अटल आसक्त मैं।देर क्या थी? यह मनोमंदिर यहाँ तैयार था।वे पधारे, यह

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समर्पण

4 मार्च 2022
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सूखी सी अधखिली कली हैपरिमल नहीं, पराग नहीं।किंतु कुटिल भौंरों के चुंबनका है इन पर दाग नहीं।तेरी अतुल कृपा का बदलानहीं चुकाने आई हूँ।केवल पूजा में ये कलियाँभक्ति-भाव से लाई हूँ।प्रणय-जल्पना चिन्त्य-कल्

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स्मृतियाँ

4 मार्च 2022
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 क्या कहते हो? किसी तरह भीभूलूँ और भुलाने दूँ?गत जीवन को तरल मेघ-सास्मृति-नभ में मिट जाने दूँ?शान्ति और सुख से येजीवन के दिन शेष बिताने दूँ?कोई निश्चित मार्ग बनाकरचलूँ तुम्हें भी जाने दूँ?कैसा निश्चित

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जाने दे

4 मार्च 2022
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कठिन प्रयत्नों से सामग्रीएकत्रित कर लाई थी ।बड़ी उमंगों से मन्दिर में,पूजा करने आई थी ।।पास पहुंकर देखा तो,मन्दिर का का द्वार खुला पाया ।हुई तपस्या सफल देव केदर्शन का अवसर आया ।।हर्ष और उत्साह बढ़ा, कुछ

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शिशिर-समीर

4 मार्च 2022
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शिशिर-समीरण, किस धुन में हो,कहो किधर से आती हो ?धीरे-धीरे क्या कहती हो ?या यों ही कुछ गाती हो ?क्यों खुश हो ? क्या धन पाया है ?क्यों इतना इठलाती हो ?शिशिर-समीरण ! सच बतला दो,किसे ढूँढने जाती हो ?मेरी

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पारितोषिक का मूल्य

4 मार्च 2022
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मधुर-मधुर मीठे शब्दों मेंमैंने गाना गाया एक ।वे प्रसन्न हो उठे खुशी सेशाबाशी दी मुझे अनेक ।।निश्चल मन से मैंने उनकीकी सभक्ति सादर सेवा ।पाया मैंने कृतज्ञताका उसी समय मीठा मेवा ।।नवविकसित सुरभित कलियाँ

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चिंता

4 मार्च 2022
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लगे आने, हृदय धन सेकहा मैंने कि मत आओ।कहीं हो प्रेम में पागलन पथ में ही मचल जाओ।कठिन है मार्ग, मुझकोमंजिलें वे पार करनीं हैं।उमंगों की तरंगें बढ़ पड़ेंशायद फिसल जाओ।तुम्हें कुछ चोट आ जाएकहीं लाचार लौट

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प्रियतम से

4 मार्च 2022
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 बहुत दिनों तक हुई परीक्षाअब रूखा व्यवहार न हो।अजी, बोल तो लिया करो तुमचाहे मुझ पर प्यार न हो।जरा जरा सी बातों परमत रूठो मेरे अभिमानी।लो प्रसन्न हो जाओगलती मैंने अपनी सब मानी।मैं भूलों की भरी पिटारीऔर

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मानिनि राधे

4 मार्च 2022
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थीं मेरी आदर्श बालपन सेतुम मानिनि राधेतुम-सी बन जाने को मैंनेव्रत-नियमादिक साधे ।।अपने को माना करती थीमैं वृषभानु-किशोरी।भाव-गगन के कृष्णचन्द्र कीथी मैं चतुर चकोरी ।।था छोटा-सा गाँव हमाराछोटी-छोटी गलि

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आहत की अभिलाषा

4 मार्च 2022
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 जीवन को न्यौछावर करके तुच्छ सुखों को लेखा।अर्पण कर सब कुछ चरणों पर तुम में ही सब देखा।।थे तुम मेरे इष्ट देवता, अधिक प्राण से प्यारे।तन से, मन से, इस जीवन से कभी न थे तुम न्यारे।।अपना तुमको समझ, समझती

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जल समाधि

4 मार्च 2022
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अति कृतज्ञ हूंगी मैं तेरीऐसा चित्र बना देना।दुखित हृदय के भाव हमारे।उस पर सब दिखला देना।।प्रभु की निर्दयता, जीवों कीकातरता दरसा देना।मृत्यु समय के गौरव को भीभली-भांति झलका देना।।भाव न बतलाए जाते हैं।श

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मेरा नया बचपन

4 मार्च 2022
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बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी।चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछू

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बालिका का परिचय

4 मार्च 2022
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यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सोहाग की है लालीशाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवालीदीप-शिखा है अँधेरे की, घनी घटा की उजियालीउषा है यह काल-भृंग की, है पतझर की हरियालीसुधाधार यह नीरस दिल की, मस्ती मगन तपस्

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इसका रोना

4 मार्च 2022
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तुम कहते हो - मुझको इसका रोना नहीं सुहाता है ।मैं कहती हूँ - इस रोने से अनुपम सुख छा जाता है ।सच कहती हूँ, इस रोने की छवि को जरा निहारोगे ।बड़ी-बड़ी आँसू की बूँदों पर मुक्तावली वारोगे । 1 ।ये नन्हे से

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राखी की चुनौती

4 मार्च 2022
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बहिन आज फूली समाती न मन में ।तड़ित आज फूली समाती न घन में ।।घटा है न झूली समाती गगन में ।लता आज फूली समाती न बन में ।।कही राखियाँ है, चमक है कहीं पर,कही बूँद है, पुष्प प्यारे खिले हैं ।ये आई है राखी,

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विजई मयूर

4 मार्च 2022
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तू गरजा, गरज भयंकर थी,कुछ नहीं सुनाई देता था।घनघोर घटाएं काली थीं,पथ नहीं दिखाई देता था। तूने पुकार की जोरों की,वह चमका, गुस्से में आया।तेरी आहों के बदले में,उसने पत्थर-दल बरसाया।तेरा पुकारना नहीं

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जलियाँवाला बाग में बसंत

4 मार्च 2022
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 (जलियाँवाला बाग की घटना बैसाखी को घटी थी, बैसाखी वसंत से सम्बंधित महीनों (फाल्गुन और चैत्र)के अगले दिन ही आती है)यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।कलियाँ भी अधख

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मेरी कविता

4 मार्च 2022
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मुझे कहा कविता लिखने को,लिखने बैठी मैं तत्काल ।पहले लिखा जलियाँवाला,कहा कि बस हो गये निहाल ।।तुम्हें और कुछ नहीं सूझता,ले-देकर वह खूनी बाग ।रोने से अब क्या होता है,धुल न सकेगा उसका दाग ।।भूल उसे चल हं

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विजयादशमी

4 मार्च 2022
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 विजये ! तूने तो देखा हैवह विजयी श्री राम सखी !धर्म भीरु सात्विक निश्छ्ल मनवह करुना का धाम सखी !वनवासी असहाय और फिरहुआ विधाता वाम सखी ।हरी गई सहचरी जानकीवह व्याकुल घनश्याम सखी !कैसे जीत सका रावण कोराव

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मातृ-मन्दिर में

4 मार्च 2022
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 वीणा बज-सी उठी, खुल गये नेत्रऔर कुछ आया ध्यान।मुड़ने की थी देर, दिख पड़ाउत्सव का प्यारा सामान॥जिसको तुतला-तुतला करकेशुरू किया था पहली बार।जिस प्यारी भाषा में हमकोप्राप्त हुआ है माँ का प्यार॥उस हिन्दू

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मातृ-मन्दिर में

4 मार्च 2022
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 व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेशचलूँ उसको बहलाऊँ आज ।बताकर अपना सुख-दुख उसेहृदय का भार हटाऊँ आज ।।चलूँ मां के पद-पंकज पकड़नयन जल से नहलाऊँ आज ।मातृ-मन्दिर में मैंने कहा-चलूँ दर्शन कर आऊँ आज ।।किन्तु यह हुआ

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मातृ-मन्दिर में

4 मार्च 2022
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 देव ! वे कुंजें उजड़ी पड़ींऔर वह कोकिल उड़ ही गयी ।हटायीं हमने लाखों बारकिन्तु घड़ियां जुड़ ही गयीं ।।विष्णु ने दिया दान ले लियाकुश्लता गयी, अंधेरा मिला ।मातृ-मन्दिर में सूने खड़ेमुक्ति के बदले मरना मिला ।

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झण्डे की इज़्ज़त में

4 मार्च 2022
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 धन्य हुई मैं आज, धन्य हैसखि सौभाग्य हमारा ।जिसकी थी इच्छुका, मिला हैसुझे समय वह प्यारा ॥माँ की वेदी पर बलि होने-का शुभ अवसर आया।जन्म सफल हो गया; आज हीमैंने सब कुछ पाया ॥विदा माँगती हूँ मैं सब सेलो, द

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मेरी टेक

4 मार्च 2022
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निर्धन हों धनवान,परिश्रम उनका धन हो।निर्बल हों बलवान,सत्यमय उनका मन हो।हों स्वाधीन गुलाम,हृदय में अपनापन हो।इसी आन पर कर्मवीरतेरा जीवन हो।तो, स्वागत सौ बारकरूँ आदर से तेरा।आ, कर दे उद्धार,मिटे अंधेर-अ

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विदाई

4 मार्च 2022
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कृष्ण-मंदिर में प्यारे बंधुपधारो निर्भयता के साथ।तुम्हारे मस्तक पर हो सदाकृष्ण का वह शुभचिंतक हाथ।तुम्हारी दृढ़ता से जग पड़ेदेश का सोया हुआ समाज।तुम्हारी भव्य मूर्ति से मिलेशक्ति वह विकट त्याग की आज।त

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विदा

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 "गिरफ़्तार होने वाले हैँ,आता है वारन्ट अभी !”धक-सा हुआ हृदय, मैं सहमीहुए विकल साशंक सभी ॥किन्तु सामने दीख पड़ेमुस्कुरा रहे थे खड़े-खड़े।रुके नहीं, आँखों से आँसूसहसा टपके बड़े-बड़े॥‘‘पगली, यों ही दूर क

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स्वागत

4 मार्च 2022
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 (१९२० में नागपुर में होने वालीकांग्रेस के स्वागत में)तेरे स्वागत को उत्सुक यह खड़ा हुआ है मध्य-प्रदेशअर्घ्यदान दे रही नर्मदा दीपक सवयं बना दिवसेश ।।विंधयाचल अगवानी पर हैवन-श्री चंवर डुलाती है ।भोली-भा

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स्वागत गीत

4 मार्च 2022
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कर्म के योगी, शक्‍ति-प्रयोगीदेश-भविष्य सुधारियेगा ।हाँ, वीर-वेश के दीन देश के,जीवन प्राण पछारियेगा ।।तुम्हारा कर्म-चढ़ाने को हमें डोर हुआ ।तुम्हारी बातों से दिल-में हमारे जोर हुआ ।।तुम्हें कुचलने को दु

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स्वदेश के प्रति

4 मार्च 2022
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आ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ,स्वागत करती हूँ तेरा।तुझे देखकर आज हो रहा,दूना प्रमुदित मन मेरा।आ, उस बालक के समानजो है गुरुता का अधिकारी।आ, उस युवक-वीर सा जिसकोविपदाएं ही हैं प्यारी।आ, उस सेवक के समान तू

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विस्मृत की स्मृति

4 मार्च 2022
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 उधर गो- भक्त कहाता देशइधर ये लाखों गायें कटें।उधर करती वैतरणी पारइधर वे हाय ! छुरी से छटें ॥उधर मचता है हाहाकारइधर ये क़दम न पीछे हटें ।देखकर ये उलटे व्यवहारहमारे हृदय शोक से फटें॥उधर तुम कहलाते गोपा

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मत जाओ

4 मार्च 2022
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यों असहाय छोड़ कर असमयकैसे जाते हो भगवान ?लौटो, तुम्हें न जाने देंगे,दुखी देश के जीवन-प्राण !भारत मैया की नैया केचतुर खेवैया लौट चलो ।इस कुसमय में साथ न छोड़ो,रुक जाओ, ठहरो, सुन लो ।।आशा-बेलि स्वदेश-भू

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ठुकरा दो या प्यार करो

6 मार्च 2022
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 देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैंसेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैंधूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैंमुक्तामणि बहुमुल्य वस्तुऐं लाकर तुम्हें चढ़ाते हैंमैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी ज

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राखी

6 मार्च 2022
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भैया कृष्ण ! भेजती हूँ मैंराखी अपनी, यह लो आज ।कई बार जिसको भेजा हैसजा-सजाकर नूतन साज ।।लो आओ, भुजदण्ड उठाओइस राखी में बँध जाओ ।भरत - भूमि की रजभूमि कोएक बार फिर दिखलाओ ।।वीर चरित्र राजपूतों कापढ़ती ह

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