यह लेख मेरे द्वारा कुछ WhatsApp समूहों पर १८ अगस्त २०१६ से २७ नवम्बर २०१६ तक सम्प्रेषित चर्चा का संकलन है. पाठकों की सुविधा के लिए इसे कई खण्डों में प्रकाशित कर रहा हूँ.कल की चर्चा में कुछ बातें छूट गयीं थीं ।कल मैंने कहा था कि ज्योतिष में नव ग्रहों की स्थिति को १२ रा
यह लेख मेरे द्वारा कुछ WhatsApp समूहों पर १८ अगस्त २०१६ से २७ नवम्बर २०१६ तक सम्प्रेषित चर्चा का संकलन है. पाठकों की सुविधा के लिए इसे 6 खण्डों में प्रकाशित कर रहा हूँ.हम सब ने कभी न कभी आकाश में विचरण करते ग्रहों और नक्षत्रों का अवलोकन किया है। इस अवलोकन से हम सब के मानस में भिन्न
मासिक राशिफल जुलाई 2017 आज रविवार है और प्रत्येक रविवार को योग, ज्योतिष या किसी अन्य विषय की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में 'मासिक राशिफल जुलाई २०१७' का बारह राशि का दे रहे हैं और यह प्रत्येक मास के अन्तिम रविवार को देंगे। यदि आपने अभी तक हमारे चैनल को सबस्क्राईब नहीं किया है तो अवश्य करें
स्वस्थ्य सभी रहना चाहते हैं। रोगभय से सभी घबराते हैं। राेग से मुक्ति सभी को चाहिए। रोग शान्त हो जाए इसके लिए एक मन्त्र प्रयोग दे रहे हैं। मन्त्र की शक्ति सर्वविदित है। इस प्रयोग को आस्था व विश्वास के साथ करेंगे तो अवश्य लाभ होगा। चिकित्सक से अपना इलाज कराएं औ
आप यह जान लें कि मन्त्र में विघ्न दूर करने की शक्ति होती है। भौतिक विज्ञान के जानकार कहते हैं कि ध्वनि कुछ नहीं है मात्र विद्युत के रूपान्तरण के। जबकि अध्यात्म शास्त्री कहते हैं कि
पूर्व लेख में गण्डमूल इतने अशुभ क्यों के अन्तर्गत सन्धि की चर्चा के साथ-साथ यह बता चुके हैं कि सन्धि कैसी भी हो अशुभ होती है। बड़े व छोटे मूल क्या हैं। गण्डान्त मूल और उसका फल क्या है। अब इसी ज्ञान में और वृद्धि करते हैं। अभुक्त मूल-ज्येष्ठा नक्षत्र के अन्त की 1घटी(24मिनट) तथा मूल नक्षत्र की
यह जान लें कि सन्धिकाल सदैव से ही अशुभ, हानिकारक, कष्टदायी व असमंजस युक्त होता है। सन्धि से तात्पर्य एक की समाप्ति और दूसरे का प्रारम्भ, अब चाहे वह समय हो या स्थान हो या परिस्थिति हो। ऋतुओं की सन्धि रोगकारक होती है। ज्योतिष में अनेक प्रकार की सन्धि है, ज
आप को बता दें कि सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से ॐ शब्द प्रकट हुआ था वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। तदोपरान्त भूः, भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में ॐ में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड
मुहूर्त का अर्थ है सही समय का चुनाव। किसी समय-विशेष में किया गया कोई कार्य शीघ्र सफल होता है तो कोई कार्य तरह-तरह के विघ्नों के कारण पूरा ही नहीं हो पाता! यहाँ प्रस्तुत है सही मुहूर्त चुनने की सरल विधि ----------------व्यक्ति की कुंडली यह जानकारी देती है कि व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के कर्म के कारण
सभी समाचार पत्र और पत्रिकाएं राशिफल छापते हैं। अब तो नैट पर, अपने मोबाईल पर दैनिक राशिफल पढ़ने को मिल जाता है। प्राय: समाचार पत्रों में सूर्य राशि से जोकि अंग्रेजी तारीख के अनुसार अमुक अवधि से अमुक अवधि में उत्पन्न्ा होने पर ज्ञात होती है के अनुसार राशिफल लिखा रहता है। यह सूर्य राशि होती है औ
ज्योतिष शास्त्र में ऐसे अनेक योगों का उल्लेख है जो व्यक्ति की कुंडली में यदि उपस्थित हों तो उसे सम्पन्नता,प्रतिष्ठा,उच्च-पद आदि देते हैं, किंतु एक तो ऐसे योगों की संख्या बहुत अधिक है दूसरे उनको कुंडली में ढूंढ़ पाना बिना किसी विज्ञ ज्योतिष की सहायता के टेढ़ी खीर है। अतः यहाँ पर हम एक ऐसे योग की चर्चा
ऐसा माना जाता है कि खजाना हर किसी व्यक्ति को नहीं मिल सकता। जिसकी किस्मत में अचानक अपार धन प्राप्त करने के योग हैं वहीं गुप्त खजाना प्राप्त कर सकता है। अचानक धन लाभ होने से पहले आपको किस्मत के इशारे मिलते हैं।ये इशारे सपने में और खुली आखों से या आसपास होने वाली छोटी-छोटी घटनाओं के रूप में महसुस होते