रोज मन में ढेरो कल्पनायें पंख लगाकर उड़ने को तैयार रहती हैं। हर पल मन असंख्य कल्पनायें करता रहता है। अपनी सकारात्मक कल्पनाओं को कैसे करे साकार, ये अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न है? इस कल्पनाओं के माध्यम से, हम अपने सुन्दर और सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर होते है। ये कल्पनायें ही हमारे भीतर छुपी हुई प्रतिभाओं को उभारती हैं एवं हमारे अंदर हिम्मत पैदा करती हैं जिसके द्वारा हम अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होते है।
जीवन में मात्र सुन्दर कल्पनाओं के द्वारा कुछ हासिल नहीं किया जा सकता और न ही इस स्वप्निल दुनिया का वर्तमान में कोई अर्थ है। परन्तु फिर भी, इन कल्पनाओं के महत्व को नाकारा नहीं जा सकता है क्योंकि कल्पनाओं के द्वारा ही इंसान अपनी कार्य योजना को बनाता है एवं उसे कार्यान्वित करता है। सकारात्मक कल्पनायें इंसान के भीतर अलग तरह की रचनात्मकता भर देती है और इसके परिणाम जीवन में दृष्टिगोचर होने लगते है।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक और शिक्षक स्वर्गीय ऐ पी जे अब्दुल कलाम ने भी कहा हैं, "सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।"
आज तक दुनिया में जितने भी छोटे बड़े काम हुए हैं सब के पीछे कहीं न कहीं सुन्दर कल्पना निहित है। मनोवैज्ञानिको की माने तो स्वस्थ कल्पनाएँ हमारे मौलिक विकास के लिए नितांत आवश्यक हैं । जो व्यक्ति कल्पनाओं की ऊँची उड़ान नहीं भर पाता वो मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं तथा अवसाद के गर्त में गिर जाते हैं । इसलिए स्वस्थ कल्पनायें जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। शोध-अध्ययन में भी ये उल्लेखित किया गया हैं की जो जीवन में सकारात्मक कल्पनायें करता है उसकी आयु औरों के मुताबिक अधिक होती है । अतः हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।