आज के दौर में लोग नहीं जानते की ख़ुशी क्या हैं? लोग सोचते हैं की ढेर सारे पैसे, ऐशो आराम के साधन उन्हें ख़ुशी दे सकते हैं परन्तु वास्तविक स्थिति एकदम विपरीत हैं। व्यक्ति कम संसाधनों में भी खुश रह सकता हैं सच्चाई तो यह है है की ख़ुशी कहीं और नहीं हमारे अंदर छुपी हुई हैं । ख़ुशी एक मनः स्थिति हैं और पूर्णतः आपके मनोभावों पर निर्भर करती हैं।
खुशी को न चुराया जा सकता हैं न खरीदा जा सकता हैं, ये तो बस ज़िन्दगी की छोटी छोटी बातों में निहित है। सच तो यह हैं की जीवन में बड़ी उपलब्धि पाने के लिए हम छोटी छोटी खुशियों की बलि देते रहते हैं। जीवन में आने वाली ये खुशियां रोज़ाना भारी मात्र में हमारे सामने मौजूद है पर हम अपने नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण इनको देख नहीं पाते। नकारात्मक चिंतन के कारण, हमें जो भी मिला वो हमें कम ही लगता हैं और हम सदा दुखी रहने लगते हैं।
वैज्ञानिको की मानें तो उन्होंने खुशी के रहस्य को सुलझा लिया है, जो हमेशा से बहस का विषय रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, "ख़ुशी का फार्मूला हैं: पी ई एच, जिसे उन्होंने गहन अध्ययन एवं शोध के बाद बनाया हैं (स्त्रोत: अखंड ज्योति, २०१५) :
पी : पर्सनल कैरक्टरस्टिक अर्थात उसके व्यक्तिगत लक्षण जैसे: विपरीत परिस्थितयों में सामंजस्य स्थापित करना
ई : एक्जिस्टेंस यानी की अस्तित्व, जो हमारे मित्रों से जुड़ा हुआ हैं
एच : हायर आर्डर नीड्स अर्थात आत्म सम्मान इत्यादि
ख़ुशी को तो बाँटने की चीज़ हैं, जितना बांटों उतना बढ़ेगी, बस बाँटने की देर हैं । आवश्यकता इस बात की हैं की अपना दृष्टिकोण कैसा बदला जाएँ। इसके लिए यदि हम जीवन में इस बात पर ध्यान केंद्रित करें और इस मंत्र पर विचार करें कि," हम दूसरों के दुख बँटाएँ" तो हमें आत्मिक संतुष्टि का अनुभव होगा और हम जीवनमें आगे बढ़ते हुए चले जाएंगे।